प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 (National Policy on Biofuels -2018) में संशोधन को मंजूरी दी।
National Policy on Biofuels -2018 को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा 4 जून 2018 को National Policy on Biofuels के अधिक्रमण में अधिसूचित किया गया था, जिसे 2009 में Ministry of New & Renewable Energy के माध्यम से प्रख्यापित किया गया था।
जैव-ईंधन में होने वाली प्रगति को ध्यान में रखते हुये National Biofuel Coordination Committee (NBCC) की विभिन्न बैठकों में जैव-ईंधन उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसी तरह 01 अप्रैल, 2023 से देशभर में 20 प्रतिशत तक की एथेनॉल की मात्रा वाले एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिये पहलकदमी करने के बारे में स्थायी समिति की सिफारिशों पर भी निर्णय लिया गया, जिसके अलोक में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति में संशोधन किये जा रहे हैं।
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति में स्वीकृत मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं:
संशोधित नीति जैव ईंधन के उत्पादन के लिए अधिक फीडस्टॉक्स की अनुमति देने और 2030 से 2025-26 तक पेट्रोल में एथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को आगे बढ़ाने का प्रयास करना है।
यह Special Economic Zones (SEZ)/ Export Oriented Units (EoUs) में स्थित इकाइयों द्वारा मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत देश में जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहता है। संशोधित नीति विशिष्ट मामलों में जैव ईंधन के निर्यात की अनुमति देने का भी प्रयास करती है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह प्रस्ताव स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास को भी आकर्षित करेगा और बढ़ावा देगा जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का मार्ग प्रशस्त करेगा और इस तरह अधिक रोजगार पैदा करेगा।
National Policy on Biofuels वर्ष 2018 के दौरान आई थी। यह संशोधन प्रस्ताव ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का मार्ग प्रशस्त करेगा जिससे पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में कमी आएगी।
बयान में कहा गया है, “चूंकि जैव ईंधन के उत्पादन के लिए कई और फीडस्टॉक्स की अनुमति दी जा रही है, इससे आत्मानबीर भारत को बढ़ावा मिलेगा और 2047 तक भारत के ‘ऊर्जा स्वतंत्र’ बनने के प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण को गति मिलेगी।”