लखनऊ : चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश चीनी मिल एसोसिएशन (यूपीएसएमए) ने गन्ना किसानों को देय बकाया राशि को चुकता करने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता मांगी है। मिलों द्वारा किसानों का 11,103,29 करोड़ रुपये भुगतान अभी भी बकाया है। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, चीनी मिलों नें आने वाले क्रशिंग सीजन में उत्पादित किए चीनी को सुरक्षित रखने के लिए गोदामों की व्यवस्था करने के लिए भी सरकारी सहायता जरूरी है। प्रदेश में गन्ना और चीनी दोनों के अधिक उत्पादन की समस्या से जूझने के लिए चीनी निर्यात करने के लिए भी सरकार के मदद की भी आवश्यकता है।
गन्ना क्रशिंग के लिए प्रति क्विंटल 40 रुपये सहायता की मांग
‘यूपीएसएमए’ के अध्यक्ष सीबी पटोडिया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में मांग की है की, सरकार को गन्ना क्रशिंग के लिए मिलों को प्रति क्विंटल 40 रुपये की सहायता करनी चाहिए । ‘यूपीएसएमए’ के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा की, केंद्र और राज्य द्वारा तय गन्ना के निष्पक्ष और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित सलाह (एसएपी) कीमत के बीच 40 रुपये प्रति क्विंटल का बड़ा अंतर आया है, और उसकी वजह से मिलों द्वारा किसानों की गन्ना बकाया राशि करोड़ों में पहुँच गई है।
घाटे का सौदा
पिछले गन्ना क्रशिंग सीझन में चीनी के उत्पादन की वास्तविक लागत – गुड़, बैगेज और प्रेसकेक सहित 3,995 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि इन उत्पादों की बिक्री से मिलों का उत्पन्न प्रति क्विंटल राजस्व (आय) 3,466.6 9 रुपये थी। नतीजतन, चीनी उद्योग को प्रति क्विंटल का 128.3 रुपये नुकसान उठाना पड़ रहा है । खास बात यह है की, राष्ट्रीय चीनी संस्थान, कानपुर द्वारा गन्ने की लागत और राजस्व विश्लेषण विधिवत सत्यापित कर इसकी पुष्टि की है।
किसानों का बकाया चुकाने में बाधाएं
‘यूपीएसएमए’ के एक वरिष्ठ सदस्य ने यह भी कहा की, मिलों द्वारा चीनी कोटा बेचने की नीति को ध्यान में रखा जाए तो, मौजूदा चीनी खत्म होने के लिए फरवरी २०१९ तक का समय लग सकता है। मौजूदा चीनी का मूल्य आगामी क्रशिंग सीजन में नई चीनी के आगमन के साथ कम हो जाएगा। इससे बकाया चुकाने में और बाधा उत्पन्न होने की सम्भावना बनी है । इससे चीनी मिलों को और भी आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, इस मुश्किल घड़ी में केवल सरकार ही राहत दे सकती है।
स्टोरेज क्षमता बढ़ाने का जिम्मा मिलों का…
चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग के प्रधान सचिव संजय आर भुसोरेड्डी ने कहा की, हम यूपीएसएमए की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रहे हैं। जहां तक आने वाले क्रशिंग सत्र के दौरान चीनीऔर गुड़ के उत्पादन के चलते स्टॉक को रखने का सवाल है तो इस समस्या से निपटने के लिए मिलों को खुद ही अपनी स्टोरेज क्षमता का विस्तार करने की आवश्यकता है । राज्य सरकार इसका दायित्व नही ले सकता है। “