नई दिल्ली : गन्ना किसानों का लंबित भुगतान ग्रामीण आय को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाला एक अतिरिक्त कारक बनकर उभरा है।
आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक और चॉकलेट जैसे विविध प्रकार के उत्पादों के कन्फेक्शनरों और निर्माताओं से औद्योगिक इस्तेमाल के लिए मांग में गिरावट के कारण चीनी की बिक्री ठप है। इसके अलावा चीनी के उप-उत्पाद की बिक्री भी धीमी है जिससे चीनी मिलों के सामने राजस्व की समस्या पैदा हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में गन्ने की सबसे बड़ी मात्रा का उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश में किसानों का 14,000 करोड़ रूपये अभी भी बकाया है। उत्तर प्रदेश चीनी मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के सचिव दीपक गुप्तारा ने कहा, हम इस साल गन्ने का अधिक उत्पादन कर रहे हैं। वही इस सीजन ज्यादा गन्ना मिलने के कारण उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने चीनी उत्पादन में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। ISMA द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 15 मई 2020 तक 122.28 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की इसी तारीख को उत्पादित 116.80 लाख टन के उत्पादन की तुलना में 5.48 लाख टन अधिक है। यह उत्पादन राज्य में अब तक का सबसे अधिक चीनी उत्पादन है, जो 2017-18 के चीनी सीजन में उत्पादित 120.45 लाख टन से अधिक है। इस वर्ष संचालित 119 मिलों में से 73 मिलों ने अपनी पेराई समाप्त कर दी है और 46 मिलें अपना परिचालन जारी रखे हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष 15 मई 2019 को 28 मिलें चल रही थीं।
मार्च और अप्रैल में चीनी की बिक्री लॉकडाउन के कारण एक मिलियन टन कम थी। लॉकडाउन हटते ही चीनी की माँग बढ़ने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में मिलों ने राज्य सरकार से उद्योग के किसानों को भुगतान करने में मदद करने के लिए नकद सब्सिडी देने का आग्रह किया है।