पुणे: एग्रोवन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने एकमुश्त गन्ना भुगतान की गारंटी की घोषणा नहीं करने के खिलाफ 17 व 18 नवंबर को गन्ने की कटाई बंद रखने का ऐलान किया है। संगठन के नेता राजू शेट्टी के नेतृत्व में गन्ना किसानों द्वारा चीनी आयुक्तालय तक एक विशाल मोर्चा निकालने के बाद, किसानों ने अचानक अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दी। हालांकि, सरकार को समय सीमा बताते हुए ‘स्वाभिमानी’ ने छह घंटे बाद शांतिपूर्ण तरीके से धरना वापस ले लिया।
स्वाभिमानी संगठन के हजारों किसान कार्यकर्ताओं ने शेट्टी के नेतृत्व में पुणे में मोर्चा निकाला। मोर्चा की शुरुआत अलका सिनेमा चौक से हुई। तीन किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हुए हजारों किसानों ने चीनी आयुक्तालय तक मार्च किया, जिससे शहर में यातायात ठप हो गई। मोर्चा में स्वाभिमानी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. जालिंदर पाटिल, संदीप जगताप और स्वाभिमानी किसान संघ के उपाध्यक्ष प्रकाश बलवाडकर, युवा नेता अमोल हिप्परगे, पूजा मोरे, राजेंद्र पाटिल और अन्य नेताओं ने भाग लिया।
गुस्साए प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ के पास गया। आयुक्त गायकवाड़ ने खुद मोर्चा का सामना किया। आयुक्त गायकवाड़ ने शेट्टी से मुलाकात की और आयुक्तालय द्वारा किसानों के हितों के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इससे आंदोलन की तीव्रता कम हो गई और प्रदर्शन वापस लेने का निर्णय लिया गया।
शेट्टी ने आंदोलन समाप्त करते हुए कहा की, अब हम सरकार के दरवाजे पर नहीं जाएंगे। हमारा झगड़ा तब तक खत्म नहीं होगा जब तक सरकार यह नहीं कह देते कि वह एकमुश्त एफआरपी का कानून बनाएगी। गन्ना किसानों की कुछ समस्याएं केंद्र और कुछ राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हैं। हालांकि यहां किसानों का मोर्चा निकालने के बाद भी राज्य सरकार के पास समस्या के समाधान के लिए समय नहीं है।
शेट्टी ने आरोप लगाया की, चीनी आयुक्त गायकवाड मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री से संपर्क करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन, किसी ने जवाब नहीं दिया। क्योंकि राज्य सरकार सत्ता के मजे में है। उन्होंने कहा, हम हक मांग रहे हैं, भीख नहीं मांग रहे हैं। शेट्टी ने किसानों से राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए, 17 और 18 नवंबर को कटाई बंद रखने की अपील की।