नई दिल्ली : उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, चीनी मिलों ने 30 सितंबर को समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में अब तक गन्ना किसानों को लगभग 103737 करोड़ रूपये का भुगतान किया है, लेकिन 9,499 करोड़ करोड़ का बकाया अभी भी भुगतान नहीं किया गया है। कुल गन्ना बकाया में से, उत्तर प्रदेश में मिल मालिकों को गन्ना किसानों को 6,315 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना होगा। गुजरात में गन्ना बकाया 1,651 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र में 631 करोड़ रुपये है।
मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा की, किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान एक सतत प्रक्रिया है और बकाया लगातार नीचे की ओर जा रहा है। पिछले पांच साल में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न नीतिगत उपाय लागू किए है। इन उपायों में गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 3(1) में उल्लिखित कारकों को ध्यान में रखते हुए गन्ने का सरकार द्वारा अनिवार्य उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) शामिल है।
इसके अतिरिक्त, पूर्व-मिल कीमतों में किसी भी गिरावट को रोकने और संचित गन्ने को निकालने में मदद करने के लिए चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित किया गया है। शुरुआत में यह कीमत ₹29 प्रति किलोग्राम थी, और बाद में इसे संशोधित कर ₹31 कर दिया गया।
चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए, अधिशेष चीनी को एथेनॉल उत्पादन में बदल दिया गया है, जिससे उन्हें निपटान में मदद मिल गई है। मंत्री ने कहा कि, चीनी सीजन 2020-21 तक गन्ने का लगभग 99.9% बकाया चुका दिया गया है। उन्होंने कहा, पिछले चीनी सीजन 2021-22 के लिए, 99.9% से अधिक गन्ना बकाया चुका दिया गया है और वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 में, 17 जुलाई, 2023 तक लगभग 91.6% गन्ना बकाया चुका दिया गया है।