केंद्र सरकार का मकई के निर्यात पर अंकुश लगाने पर विचार

नई दिल्ली : भारत सरकार मक्का (मकई) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। मकई की कीमतें ₹2,150 प्रति क्विंटल से ऊपर हैं और पोल्ट्री और स्टार्च निर्माण क्षेत्र से मांग बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर स्टार्च विनिर्माताओं द्वारा मामला उठाए जाने के बाद इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कृषि मंत्रालय की एक शाखा एगमार्कनेट के आंकड़ों के मुताबिक, 1-8 दिसंबर के दौरान मक्के का औसत भाव 2,173.66 रुपये प्रति क्विंटल है। यह भाव ₹1,962 के एमएसपी कीमत से भी अधिक है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्टार्च विनिर्माताओं द्वारा उच्च कीमतों और अनुपलब्धता का मामला उठाए जाने के बाद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में 2,199.28 रुपये प्रति क्विंटल से नवंबर के पहले सप्ताह में 2,057 रुपये प्रति क्विंटल तक गिरने के बाद कीमतें ऊपर की तरफ बढ़ रही हैं। तमिलनाडु एग पोल्ट्री फार्मर्स मार्केटिंग सोसाइटी (TNEPFMS) के अध्यक्ष वांगिली सुब्रमण्यन ने कहा, हम वर्तमान में नमक्कल में ₹ 2,400 में मक्का प्राप्त कर रहे हैं। खाद्य और कृषि संगठन के कृषि बाजार सूचना प्रणाली (एएमआईएस) ने गुरुवार को अपने “मार्केट मॉनिटर” में कहा कि, 2022 के लिए मक्का का उत्पादन पिछले साल के 1,212.3 मिलियन टन से घटकर 1,163.6 मिलियन टन हो गया है। TNEPFMS के सुब्रमण्यम ने कहा, हम कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से अपनी मक्का की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं, लेकिन बारिश के कारण फसल में नमी की समस्या है। हम उम्मीद करते हैं कि खेतों में फसल जल्द ही काटी जाएगी, लेकिन हम उपलब्धता के साथ समस्याएं देख रहे है।

मक्के की मांग बढ़ने के बावजूद, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में मक्का की कीमतें वर्तमान में मार्च में डिलीवरी के लिए तीन महीने के निचले स्तर 6.41 डॉलर प्रति बुशल ($ 253.13 प्रति टन) पर कारोबार कर रही हैं। कीमतें पिछले सप्ताह में 3 प्रतिशत और पिछले महीने में 5 प्रतिशत नीचे हैं।

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