नई दिल्ली: भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि, केंद्र सरकार के डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाने के फैसले के पीछे किसान संगठनों का दबाव था। टिकैत ने एएनआई को बताया, उर्वरक की दर 1,900 रुपये हो गई थी। इसको लेकर किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाया। किसान संयुक्त मोर्चा के चल रहे विरोध में भी यह मामला उठाया गया था। उन्होंने 2020 में पेश किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग दोहराई।
उन्होंने कहा, सरकार को उन तीन कृषि कानूनों को भी वापस लेना चाहिए जिनके खिलाफ किसान छह महीने से विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से सैकड़ों किसान राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बीकेयू नेता टिकैत ने यह भी कहा कि, किसान समुदाय के अन्य मुद्दों का भी समाधान किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने बुधवार को डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बैग करने का फैसला किया। डीएपी में सब्सिडी बढ़ने से केंद्र खरीफ सीजन में सब्सिडी के रूप में अतिरिक्त 14,775 करोड़ रुपये खर्च करेगा। हाल ही में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 फीसदी से 70 फीसदी तक बढ़ गई हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाने के केंद्र के फैसले की सराहना की और निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया।