केंद्र सरकार ने सहकारी चीनी मिलों के लिए मौजूदा गन्ना आधारित फीडस्टॉक एथेनॉल प्लांट्स को बहु-फीडस्टॉक आधारित प्लांट्स में बदलने की योजना अधिसूचित की

नई दिल्ली : सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) की सुविधा के लिए, भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने संशोधित एथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के तहत सीएसएम के लिए एक योजना अधिसूचित की है, जिसके तहत वे अपने मौजूदा गन्ना आधारित फीडस्टॉक एथेनॉल संयंत्रों को बहु-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में परिवर्तित कर मक्का और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न (डीएफजी) जैसे अनाज का उपयोग कर सकेंगे। संशोधित एथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के तहत, सरकार उद्यमियों को बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों पर 6% प्रति वर्ष या बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा लगाए गए ब्याज की दर का 50%, जो भी कम हो, ब्याज अनुदान की सुविधा दे रही है, जिसका वहन एक वर्ष की स्थगन अवधि सहित पांच वर्षों के लिए केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।

गन्ना पेराई अवधि वर्ष में केवल 4-5 महीने तक सीमित है, जिसके कारण चीनी मिलें सीमित समय के लिए ही काम कर सकती हैं। इससे उनकी समग्र परिचालन दक्षता और उत्पादकता में कमी आती है। सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) के पूरे वर्ष कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए, उनके मौजूदा एथेनॉल संयंत्रों को नई संशोधित योजना के तहत मक्का और डीएफजी जैसे अनाज का उपयोग करने के लिए बहु-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में परिवर्तित किया जा सकता है। बहु-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में रूपांतरण से न केवल सीएसएम के मौजूदा एथेनॉल संयंत्र तब संचालित करने में सक्षम होंगे जब एथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी आधारित फीडस्टॉक उपलब्ध नहीं होंगे, बल्कि इन संयंत्रों की दक्षता और उत्पादकता में भी सुधार होगा। नतीजतन, इन सहकारी एथेनॉल संयंत्रों की वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ जाएगी। भारत सरकार पूरे देश में पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रित (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है। ईबीपी कार्यक्रम के तहत, सरकार ने 2025 तक पेट्रोल के साथ एथेनॉल के 20% मिश्रण का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक विभिन्न एथेनॉल ब्याज छूट योजनाओं को अधिसूचित किया है।

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