नई दिल्ली: द इकनोमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में कच्ची चीनी की बिक्री की अनुमति देने वाला एक नया नियम प्रस्तावित किया है, जो छह दशक पुराने उस नियम की जगह लेगा, जिसमें केवल निर्यात की अनुमति थी। मसौदा ‘चीनी (नियंत्रण) आदेश, 2024‘ का उद्देश्य उत्पादन प्रक्रियाओं में तकनीकी प्रगति का लाभ उठाकर उद्योग को लाभ पहुंचाना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा की, एजेंसियां केंद्र ने घरेलू बाजार में कच्ची चीनी की बिक्री की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है, जो छह दशक पुराने उस नियम की जगह लेगा, जिसमें केवल निर्यात की अनुमति थी। भारतीय मिलें केवल विदेशी रिफाइनरियों के लिए कच्ची चीनी का उत्पादन करती हैं, जो इसे परिष्कृत चीनी में बदल देती हैं।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी ‘चीनी (नियंत्रण) आदेश, 2024‘ के मसौदे में उत्पादन प्रक्रिया में तकनीकी प्रगति को मौजूदा चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 में संशोधन का कारण बताया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा की, कच्ची चीनी रिफाइंड चीनी की तुलना में अच्छी कीमत पर बिकती है और यह उद्योग के लिए फायदेमंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, प्रस्तावित मसौदा गुड़ और खांडसारी पर भी लागू होगा। अधिकारी ने कहा कि, प्रतिदिन 500 टन से अधिक गन्ना पेराई करने की क्षमता वाली खांडसारी इकाइयां प्रस्तावित छूट के दायरे में आएंगी, जिससे लघु-स्तरीय इकाइयों को कोई परेशानी नहीं होगी।
वर्तमान में खांडसारी इकाइयां उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) मानदंडों का पालन नहीं करती हैं, न ही उन्हें चीनी जैसे अपने उत्पादों की बिक्री के लिए कोटा आवंटित किया जाता है। अधिकारी ने कहा, इससे चीनी क्षेत्र और मूल्य निर्धारण में गड़बड़ी होती है। साथ ही, किसान एफआरपी के लाभों से वंचित हो जाते हैं। मंत्रालय ने 23 सितंबर तक मसौदे पर हितधारकों की टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। प्रस्तावित विनियमन सरकार को चीनी की कीमत को विनियमित करने की शक्ति देता है।
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