नई दिल्ली : चीनी मंडी
मिलों का कहना है एफआरपी का भुगतान करने के लिए मौजूदा क़ानूनी ढांचा देश में किसानों और चीनी मिलों को वित्तीय संकट में डाल रहा है। खबरों के मुताबिक, इस समस्या का प्रभावि समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कदम उठाए जा रहे है। चीनी मिलों का कहना है की हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया है की, चीनी मिलों को आर्थिक संकट में डालने वाली एफआरपी कानून के वर्तमान ढांचे को बदलना चाहिए।
खबरों के मुताबिक केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग ने बदलाव पर सहमति जताई है। इस मुद्दे पर समझोता करने का प्रस्ताव केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग द्वारा जल्द ही केंद्र सरकार को सौप दिया जाएगा।
गन्ना नियंत्रण कानून के अनुसार, अगर किसानों को 14 दिनों के भीतर एफआरपी का भुगतान नही किया जाता है, तो मिलों को आरसीसी (राजस्व वसूली प्रमाणपत्र) के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मिल को किसानों का बकाया भुगतान 15 प्रतिशत ब्याज के साथ करना होता है। मिलों का कहना है की इस कार्रवाई से बचने के लिए, वे वर्तमान में बैंक द्वारा भारी कर्जा लेकर, किसानों का भुगतान कर रहें है। कर्ज में डूब रही मिलें दिवालिया हो रही है।
‘इस्मा’ के अध्यक्ष विवेक पिट्टे ने कहा की, हमने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमे एफआरपी भुगतान की समस्या और उसके उपायों के बारे में बताया है। चीनी की दरों से एफआरपी को जोड़ने की हमारी मुख्य मांग है, चूंकि यह एक रणनीतिक निर्णय है, इसलिए तत्काल कोई फैसला नही होगा।हालाकि, इस विषय को एजेंडे पे लाया गया है।
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