पुणे: केंद्र सरकार ने पिछले कई महीनों से गन्ने के रस, चीनी सिरप और बी भारी मोलासेस से उत्पादित एथेनॉल की खरीद दरों में वृद्धि नहीं की है। अगर कीमत बढ़ती है तो चीनी मिलें तय कर सकती हैं कि उन्हें चीनी का उत्पादन करना है या एथेनॉल का उत्पादन करना है। इसलिए, राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने मांग की कि, केंद्र सरकार को तुरंत एथेनॉल खरीद मूल्य में वृद्धि की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि, न्यूनतम चीनी विक्रय मूल्य भी अभी तक बढाया नहीं गया है, और राष्ट्रीय सहकारी चीनी महासंघ इसके लिए भी सरकार से लगातार बात कर रहा है।
हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि, देश भर में सभी डिस्टलरी परियोजनाओं को नए सीजन 2024-25 में गन्ने के रस, चीनी सिरप और बी हेवी मोलासेस सहित सभी कच्चे माल से एथेनॉल का उत्पादन करने की अनुमति दी गई है। जुलाई के अंत तक देशभर में 1 हजार 590 करोड़ लीटर उत्पादन क्षमता तैयार हो चुकी है, और साल 2023-24 में तेल कंपनियों से सिर्फ 505 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदा गया है। पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की दर 13.3 फीसदी तक पहुंच गई है। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025-26 के अंत तक इस अनुपात को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करना है। उस संबंध में, पाटिल ने कहा कि इससे एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने, चीनी की खपत को मोड़ने और कारखानों के वित्तीय चक्र में सुधार करने में बहुत मदद मिलेगी। नेशनल कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, केंद्र ने मक्का आधारित एथेनॉल की खरीद कीमत 71.86 प्रति लीटर रुपये तय की है।