जयसिंगपुर: स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के 22वें गन्ना सम्मेलन में पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि, केंद्र सरकार को चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 39 रुपये प्रति किलोग्राम करना चाहिए, एथेनॉल का मूल्य प्रति लिटर सी हेवी – 60 रुपये, बी हेवी के लिए 71 रुपये और सिरप से उत्पादित एथेनॉल के लिए 75 रुपये तय करना चाहिए। इन प्रस्तावों समेत इस सम्मेलन में कुल 11 प्रस्ताव पारित किए गए। इन प्रस्तावों को उपस्थित हजारों किसानों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ मंजूरी दी। शिरोळ तालुका के जयसिंगपुर में आयोजित इस 22वें गन्ना सम्मेलन में कोल्हापुर, सांगली, सतारा सहित राज्य के कोने-कोने से हजारों किसानों ने हिस्सा लिया।
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के 22वें गन्ना सम्मेलन में पारित किये गये प्रस्ताव…
(1) मुख्यमंत्री के साथ बैठक में गन्ना किसानों को दो किस्तों में एफआरपी देने के अवैध निर्णय को रद्द करने का फैसला हुआ था, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। राज्य सरकार को इस फैसले को तुरंत रद्द करना चाहिए।
(2) फार्म पंप को दिन में 12 घंटे बिना रुकावट बिजली दी जाए और लंबित कनेक्शन तुरंत दिया जाए। राज्य सरकार के जल संसाधन प्राधिकरण को कृषि सिंचाई जल पर कर में की गई दस गुना वृद्धि को तुरंत वापस लेना चाहिए।
(3) इस साल बारिश की मात्रा बहुत कम है, और पूरे महाराष्ट्र में सूखा है। राज्य सरकार ने केवल 40 तालुकाओं में सूखा घोषित किया है। सूखे के मापदण्ड को मण्डलवार परिवर्तित करते हुए जिसमें खरीफ की फसल का नुकसान हुआ है, उस क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित किया जाना चाहिए।
(4) पिछले साल कटाई किये गये गन्ने की एफआरपी का शत प्रतिशत भुगतान किया जाए और अतिरिक्त 400 रुपए तुरंत दिए जाएं।
(5) चीनी आयुक्त के नियंत्रणाधीन प्रदेश की सभी चीनी मिलों को तत्काल ऑनलाइन कर एक ही सिस्टम में सॉफ्टवेयर स्थापित किया जाये।
(6) राज्य में गन्ना कटाई के मुकदमों से गन्ना ट्रांसपोर्टरों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। जिन लोगों ने धोखाधड़ी की है, उन पर तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाए और गन्ना ट्रांसपोर्टरों का पैसा वसूला जाए।
(7) मराठा समाज को आरक्षण मिले, और इसलिए मनोज जरांगे पाटिल द्वारा शुरू किये गए आंदोलन का स्वाभिमानी शेतकरी संगठन पूरा समर्थन करती है और केंद्र और राज्य सरकारों को मराठा समुदाय को तुरंत आरक्षण देने की मांग करती है। साथ ही धनगर, लिंगायत समुदाय को उनकी मांग के मुताबिक आरक्षण दिया जाना चाहिए।
8) केंद्र सरकार को चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य प्रति किलोग्राम 39 रुपये करना चाहिए। एथेनॉल की दरें भी बढानी चाहिए, जिसमे सी हेवी – 60 रुपये, बी हेवी – 71 रुपये और सिरप से उत्पादित एथेनॉल के लिए 75 रुपये तक बढ़ाना चाहिए। केंद्र सरकार को निर्यात की जाने वाली चीनी की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए और चीनी मिलों को सरकार द्वारा दी गई समय सीमा के भीतर उतनी चीनी निर्यात करने की अनुमति देनी चाहिए। पिछले सीजन में उत्पादित चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत और घरेलू बाजार में चीनी की कीमत के बीच का अंतर तुरंत गन्ना किसानों के खातों में डाला जाना चाहिए। साथ ही नाबार्ड को चीनी मिलों को सीधे 4 प्रतिशत ब्याज दर पर चीनी बंधक ऋण देना चाहिए।
(9) चीनी आयुक्त कार्यालय को राज्य के प्रत्येक मिल को ऑनलाइन यह घोषित करने के लिए बाध्य करना चाहिए कि उन्होंने हर महीने कितनी और किस दर पर चीनी और उप-उत्पाद बेचे। साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए चीनी आयुक्त को पेराई सीजन के अंत में 500 टन से अधिक गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों के नाम घोषित करने के लिए बाध्य करना चाहिए।
10) रंगराजन समिति की सिफारिश के अनुसार गन्ने से चीनी, खोई, गन्ना, प्रेसमड, एथेनॉल, को-जेन स्पिरिट, अल्कोहल, इन सह-उत्पादों में आरएसएफ के तहत 70:30 के फार्मूले के अनुसार किसानों को दिया जाना चाहिए।