नई दिल्ली : केंद्र सरकार एथेनॉल निर्माताओं द्वारा सामना किए जा रहे टूटे चावल और मक्का जैसे फीडस्टॉक की अनुपलब्धता की समस्या के समाधान के लिए विकल्प तलाश रही है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के मुताबिक, चावल की अनुपलब्धता के कारण डिस्टिलरीज को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।पीटीआई की एक रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है, यह मुद्दा वास्तव में हमारे विचाराधीन है। हम समस्या से अवगत है। बहुत जल्द, हम एक उचित निर्णय लेंगे।
वर्तमान में, 10 प्रतिशत एथेनॉल को पेट्रोल में मिश्रित किया जाता है, और सरकार 2025 तक इसे दोगुना करने पर विचार कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा एथेनॉल वर्ष (31 अक्टूबर, 2023 तक) के लिए क्षतिग्रस्त/टूटे हुए चावल (खुले बाजार से खरीदे गए) से उत्पादित एथेनॉल की खरीद कीमत प्रति लीटर ₹4.75 बढ़ाकर ₹60.29/लीटर कर दी गई है। साथ ही मक्के से उत्पादित एथेनॉल की कीमत में ₹6.01/लीटर की बढ़ोतरी की गई है, और अब नई दर ₹62.36/लीटर होगी। हलाकि अब तक इसको लेकर कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
इंडिया टीवी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, बीसीएल इंडस्ट्रीज के एमडी, राजिंदर मित्तल ने कहा कि एथेनॉल की कीमत में बढ़ोतरी अनाज आधारित एथेनॉल खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर है। जिन खिलाड़ियों को इसकी गहरी समझ है, उन्होंने सस्ती दरों पर कच्चे माल की खरीद की है और किसानों के साथ गहरे जुड़ाव से आगे चलकर अधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा, कई प्रमुख खिलाड़ियों ने पहले से ही सस्ती दरों पर मक्का का भंडारण कर लिया है और नीति आने का इंतजार कर रहे हैं। दर में वृद्धि से उन्हें फायदा होगा, क्योंकि उन्होंने बहुत कम कीमतों पर बड़ी मात्रा में कच्चा माल खरीदा है।
खाद्य सचिव के मुताबिक, पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण अब तक 11.7 फीसदी तक पहुंच गया है और इस साल 12 फीसदी का लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है।उन्होंने कहा कि सरकार एथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज की कमी पर ध्यान दे रही है। नतीजा, सरकार अब मक्के को प्रोत्साहित कर रही है।मक्का का उपयोग विश्व स्तर पर एथेनॉल उत्पादन के लिए एक इनपुट के रूप में किया जाता है।उन्होंने कहा कि योजना अगले तीन वर्षों में मक्का उत्पादन बढ़ाने की है ताकि एथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक मक्का उपलब्ध हो सके।
Mai makka supply karna chahta hun