2017 और 18 के मौसम में 34 मिलियन टन अतिरिक्त चीनी उत्पादन के बाद, 2018 और 19 के मौसम में चीनी का उत्पादन बढ़कर 33.5 मिलियन टन होने का अनुमान जताया जा रहा है. इसलिए यह अतिरिक्त चीनी उत्पादन निर्यात करने के अलावा देश के सामने और कोई भी चारा नहीं है. चीन के सामने मिलियन डॉलर व्यापार का घाटा है. यह कम करने के लिए चीन सरकार भारत से कच्ची चीनी का आयात करना चाहता है. चीन में कच्ची चीनी के आयात पर 10% इंपोर्ट ड्यूटी लागू है. फिर भी चीनी के आसमान छूते दामों कि वजह से, चीन में कच्ची चीनीका सौदा फायदेमंद हो सकता है.
चीन को कच्ची चीनी निर्यात करने का मौका दशक के बाद मिला है. चीन के अधिकारियों ने अगर अनुमति दी तो, अक्टूबर माह के मध्य में भारत से कच्ची चीनी का निर्यात हो सकता है. भारत में प्रस्तुत अगले मौसम में अतिरिक्त चीनी उत्पादन के चलते, जहां चीनी मिलें और गन्ना किसान आर्थिक समस्याओं से गुजर रहे है, इस परिपेक्ष में चीन को कच्ची चीनी निर्यात करने का निर्णय चीनी उद्योग के लिए राहत पहुँचा सकती है.
जानकारों के मुताबिक भारत और इंडोनेशिया में गन्नेके बंपर उत्पादन की वजह से, दुनिया में उत्पादन और सप्लाई बड़ी मात्रा में हो सकती है. इससे चीनी के दाम पर असर हो सकता है. भारत का चीनी उद्योग चीन के चीनी नितियों के तरफ नजर लगाये बैठा है. चीन में कच्ची चीनी पर लगाई गई भारी आयात शुल्क कि वजह से, चीन में चीनी के दाम प्रति किलो ग्राम 90 से 100 रुपए हो चुके हैं. वहीं भारत में यह दाम प्रति किलो रु.35 में बेचे जा रही है.
प्रस्तुत मौसम में बंपर उत्पादन होने के कारण, अगले मौसम में 11 मिलियन टन अतिरिक्त चीनी उत्पादन गोदामों में उपलब्ध होने कि वजह से घरेलू बाजार में चीनी के प्रतिकिलो दाम में फिर से गिरावट होने की आशंका जताई जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को कम से कम 2 मिलियन टन चीनी निर्यात करने का आदेश दिया है. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम कम होने से, चीनी मिलों को चीनी निर्यात करने में मुश्किलें आ रही है.