नई दिल्ली / जिनेवा : चीनी मंडी
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के आरोपों को सिरेसे खारिज कर दिया है कि, चीनी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित सीमाओं से अधिक है। इसका तर्क यह दिया है कि, चीनी निर्धारित सीमाओं के दायरे में नहीं आती है, क्योंकि यह वस्तु भारत सरकार द्वारा प्राप्त नहीं की जाती है।
कपास, दालें आयात और डेयरी निर्यात मुद्दों पर बहस…
जिनेवा स्थित व्यापारिक अधिकारी के मुताबिक सोमवार को कृषि बैठक पर डब्ल्यूटीओ की समिति में कपास, दालें आयात और डेयरी निर्यात से संबंधित अपनी नीतियों पर नई दिल्ली को शिकायतों का सामना करना पड़ा। बैठक में भारत के प्रतिनिधि ने स्पष्ट किया की, ऑस्ट्रेलिया द्वारा लगाये गये आरोप निराशाजनक दृष्टिकोण पर आधारित है। जिसमें यह निर्धारित करता है कि, चीनी के लिए एमएसपी घरेलू समर्थन के रूप में अर्हता प्राप्त करता है, जिसे भारत के ‘एम्बर बॉक्स’ सीमा में शामिल किया जाना चाहिए। वास्तव में, चीनी के लिए एमएसपी घरेलू समर्थन के रूप में योग्य नहीं है, क्योंकि सरकार द्वारा कोई खरीद नहीं हुई है।
भारत की कृषि सब्सिडी नियमों के अधिन….
‘एम्बर’ बॉक्स कृषि सब्सिडी को संदर्भित करता है जिसे डब्ल्यूटीओ द्वारा मूल्य तय किए जाते है और वह विकासशील देशों में कुल उत्पादन मूल्य की 10 प्रतिशत सीमा के अधीन है। ऑस्ट्रेलिया ने आरोप लगाया था कि, भारत ने छह वर्षों तक डब्ल्यूटीओ द्वारा तय किये गये खर्च की सीमा से अधिक गन्ने के लिए समर्थन प्रदान किया है, 2016-17 के बाजार वर्ष में 747 अरब डॉलर या उत्पादन के कुल मूल्य का लगभग 100 प्रतिशत इसकी 10 प्रतिशत सीमा से ऊपर था ।
भारत ने कहा, एमएसपी का उद्देश्य किसानों की बिक्री की परेशानी को रोकना…
भारत ने स्पष्ट किया कि, एमएसपी का उद्देश्य किसानों द्वारा गन्ने की बिक्री की परेशानी को रोकने के लिए किया गया था। इसमें गन्ना किसानों का शून्य समर्थन था, और इसलिए इसे अपनी अधिसूचना में शामिल नहीं किया गया था । भारत चीनी निर्यात में अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक मामूली खिलाड़ी है और भारत का हिस्सा वैश्विक चीनी निर्यात में 1 प्रतिशत से भी कम है । भारत ने अतिरिक्त चीनी अधिशेष में कोई योगदान नहीं दिया है, जो वर्तमान में कीमतें निराशाजनक बनी हुई है। भारत ने कहा की, ऑस्ट्रेलिया के सभी आरोप “दोषपूर्ण धारणाओं और एक दोषपूर्ण विश्लेषण” पर आधारित है।
ऑस्ट्रेलिया के सुर में अमेरिका ने भी मिलाया सुर…
ऑस्ट्रेलिया के सुर में सुर मिलाते हुए अमेरिका ने कहा कि, भारत कपास के लिए डब्ल्यूटीओ सीमाओं से अधिक एमएसपी प्रदान कर रहा था। इसने भारत पर कपास के लिए अपने एमएसपी के तहत पर्याप्त रूप से मदद का आरोप लगाया। 2015-16 में, भारत ने कपास के लिए एमएसपी में 1.2 अरब की सूचना दी, लेकिन अमेरिका ने 504 अरब से अधिक का समर्थन अनुमान लगाया है।
अमेरिकी डॉलर में अपनी गणना को न्यायसंगत बनाने के लिए, भारत ने कहा कि, डब्ल्यूटीओ नियम किसी भी विशेष मुद्रा में समर्थन की रिपोर्टिंग या किसी विशिष्ट रिपोर्टिंग पद्धति के उपयोग को अनिवार्य नहीं करते हैं। भारत 1995 से लगातार रिपोर्टिंग दृष्टिकोण का उपयोग कर रहा है। भारत ने मूल्य समर्थन की गणना में अमेरिका की तुलना में एक और मजबूत पद्धति का भी उपयोग किया है।