मुंबई: चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में वृद्धि की घोषणा की खबरों के बीच बाजार में अभी भी अस्पष्टता बनी हुई है। पिछले दो हफ़्ते से बाजार MSP की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है, हालाँकि अभी तक इस पर कोई रुख साफ़ नहीं हुआ है। जिसके कारण बाजार में असमंजस का माहौल बना हुआ है।
महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताल ने MSP की पुर्वानुमान पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, भारत सरकार को चीनी MSP की बढ़ोतरी पर अपना आधिकारिक रुख स्पष्ट करने की आवश्यकता है। मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार 1 अक्टूबर 2020 से बढ़ोतरी में वृद्धि का दावा किया गया है। लेकिन अस्पष्टता के कारण चीनी बाजार पर इसका असर पड़ रहा है। अगर सरकार चीनी उद्योग को अपने पैरों पर खड़ा करने की इच्छा रखती है तो 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल वृद्धि करने की आवश्यकता है।
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह ने मिलों का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) 31 से 33 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ाने की सिफारिश की है, ताकि मिलों को जल्द से जल्द लगभग 20,000 करोड़ रुपये के लंबित गन्ने के बकाया का भुगतान किया जा सके। GoM ने खाद्य मंत्रालय को NITI आयोग द्वारा अनुशंसित चीनी MSP को बढ़ाने के प्रस्ताव के साथ कैबिनेट नोट सौपने का निर्देश दिया। NITI Aayog ने चीनी MSP में 33 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। NITI Aayog की सिफारिश में कहा गया है कि 31 रुपये प्रति किलोग्राम के मौजूदा MSP ने गन्ने के उचित मूल्य और 275 रुपये प्रति क्विंटल के फेयर एंड रिमुनरेटिव प्राइस (FRP) के उत्पादन लागत को कवर नहीं किया है, राज्यों का कहना है की, उत्पादन लागत अभी भी अधिक हैं।
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