चीनी उद्योग को संकट से बाहर निकालने के लिए “वन टाइम ग्रांट” देने की गुजारिश

पुणे : चीनी मंडी

महारष्ट्र के पूर्व सहकारिता मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने सहकारी चीनी मिलों की सहायता के लिए विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा। उन्होंने खत में लिखा है की, कोरोना वायरस के कारण चीनी उद्योग काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है। घरेलू और वैश्विक चीनी बिक्री में गिरावट के कारण विशेषत सहकारी चीनी मिलों के सामने राजस्व तरलता की गंभीर समस्या पैदा हुई है। जिसके कारण मिलें किसानों का बकाया भुगतान करने में भी नाकाम साबित हुई है। चीनी उद्योग को फिर से उठाने के लिए पिछले दो सीज़न में गन्ने की पेराई औसत पर 650 रुपये प्रति टन “वन टाइम ग्रांट” बेहद आवश्यक है (3012 लाख मीट्रिक टन सीजन 2017-18 और 2019-2109 का औसत गन्ना पेराई है)।

पाटिल ने लिखा है की, 1950 से सहकारी चीनी मिलों ने ग्रामीण भारत की विकास में बड़ा योगदान दिया है। शिक्षा, आरोग्य के साथ साथ देश बुनियादी ढांचा मजबूत बनाने में चीनी मिलों की अहम भूमिका रही है। देश में टेक्सटाइल उद्योग के बाद सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने वाले चीनी उद्योग के सामने काफी चुनोतियां है।

कोरोना वायरस महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण चीनी उद्योग काफी प्रभावित हुआ है। घरेलू और वैश्विक बाजारों में ठप हुई चीनी बिक्री का सीधा असर मिलों के राजस्व पर दिखाई दे रहा है। गन्ना बकाया भुगतान तकरीबन 20 हजार करोड़ तक पहुँच गया है, और दिनोंदिन उसमें इजाफ़ा हो रहा है।कोरोना आपदा ने चीनी उद्योग को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है, और इस मौसम के साथ साथ, अगले दो वर्षों तक चीनी उद्योग के सामने चुनौतियां बनी रहेंगी।

पूर्व मंत्री पाटिल ने फडणवीस से अपील की है की वह इस मुद्दे को वित्त मंत्रालय तक ले जाए और राहत दिलाने में मदद करे। फडणवीस ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पाटिल द्वारा भेज गए पत्र के बारे में सूचित कराया। और पत्र के माध्यम से उनसे अनुरोध किया की चीनी उद्योग को राहत प्रदान की जाए।

यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here