वाणिज्य मंत्रालय की नियामक अनुपालन को कम करने के लिए निर्यातकों से सिफारिशें साझा करने की अपील

नई दिल्ली: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Commerce and Industry Ministry) ने एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉउन्सिल (export promotion councils) और अन्य उद्योग निकायों से नियामक अनुपालन (compliance burden) को कम करने और प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित करने के उपायों पर विशिष्ट जानकारी देने और गैर-अपराधीकरण पर सिफारिशें साझा करने के लिए कहा है।

मामले पर नज़र रखने वाले एक सूत्र ने ‘द हिन्दू बिजनेसलाइन’ को बताया कि यह व्यवसाय करने में आसानी में सुधार लाने और अनुकूल कारोबारी माहौल के लिए अनुपालन बोझ (compliance burden) को कम करने के लिए लगातार काम करने की सरकार की घोषित नीति के अनुरूप है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय, सीमा शुल्क अधिकारियों, आरबीआई, सीबीआईसी (केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड) और जीएसटी शासन से संबंधित मामलों पर निर्यात निकायों से इनपुट मांगे गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्र ने कहा, एक बार जब सरकार इनपुट प्राप्त कर लेती है और उन पर कार्रवाई करती है, तो नीतियों और प्रक्रियाओं को तदनुसार संशोधित किया जाएगा। एक निर्यातक निकाय के एक अधिकारी ने कहा, हम अपने सुझाव दे रहे हैं कि किन प्रक्रियाओं को और सरल बनाया जा सकता है। हम उन क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं जहां आप स्व-प्रमाणन के लिए जा सकते हैं और जहां आप कम दस्तावेज़ीकरण के लिए जा सकते हैं। इनपुट के आधार पर विदेश व्यापार नीति 2023 में बदलाव भी किए जा सकते हैं क्योंकि नीति में संशोधन अब एक सतत प्रक्रिया है न कि वार्षिक।

वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने हाल ही में एक संसद उत्तर में कहा था की, सरकार के अभियान का मुख्य फोकस आवेदन, नवीनीकरण, निरीक्षण, रिकॉर्ड दाखिल करने आदि से संबंधित प्रक्रियाओं का सरलीकरण है। निरर्थक कानूनों को निरस्त करना, संशोधित या सम्मिलित करके युक्तिसंगत बनाना, मैन्युअल फॉर्म और रिकॉर्ड को समाप्त करके ऑनलाइन इंटरफेस बनाकर डिजिटलीकरण और छोटे तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक को अपराध से मुक्त करना है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की उद्योग शाखा DPIIT ने कुछ समय पहले राज्यों में नियमों की लागत का आकलन करने के लिए एक अभ्यास शुरू किया था, ताकि व्यापार माहौल में सुधार के लिए किए जा सकने वाले सुधारों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके। DPIIT द्वारा कई अप्रचलित प्रावधानों को पहले ही हटा दिया गया है, या सरल बनाया गया है।

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