पुणे : कर्नाटक ने सूखे के चलते गन्ने और चीनी उत्पादन में गिरावट से बचने के लिए इस साल पेराई का मौसम 1 नवंबर से शुरू करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र में भी कोल्हापुर जिला छोड़कर अन्य जिलों में सूखे का संकट मंडरा रहा है।सोलापुर समेत कई जिलों में किसान गन्ना पशुओं के चारे के लिए बेच रहे है। पेराई में गन्ने की किल्लत न हो इसलिए कुछ लोगों का कहना है की, सीजन जल्दी शुरू करना चाहिए। लेकिन कुछ लोगों का कहना है की, पेराई सीजन जल्द शुरू करने से रिकवरी में गिरावट आ सकती है। यह स्थिति देखते हुए महाराष्ट्र में पेराई सीजन शुरू करने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पेराई सीजन को लेकर राज्य सरकार क्या फैसला लेती है? इस पर नजरे टिकी हुई है।
हर साल राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार महाराष्ट्र में पेराई मौसम 15 अक्टूबर के आसपास शुरू होता है। हालांकि, इस वर्ष स्थिति अलग है। पिछले सीजन की तुलना में गन्ने की उपलब्धता 15 से 20 फीसदी कम है। वर्षा की कमी के कारण गन्ने की बढ़वार उतनी अच्छी नहीं हो पाती जितनी होनी चाहिए। गन्ना उत्पादन और रिकवरी घटने का अनुमान लगाया जा रहा है।
गन्ने की कम उपलब्धता के कारण इस साल सीजन 90 से 100 दिन का होने की उम्मीद है। यदि सीजन अक्टूबर में शुरू होता है, तो मिलों को कच्चा गन्ना भी मिलों में लाना होगा, जिससे उपज कम होने से किसानों के साथ-साथ मिलों को भी नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सीजन 15 नवंबर से शुरू होता है, तो गन्ना श्रमिकों की कमी नहीं होगी। लेकिन पेराई का अंतिम फैसला मंत्रियों की समिति की बैठक में लिया जाएगा फैसला। मंत्रिस्तरीय समिति की बैठक 15 सितंबर के आसपास होने की संभावना है।