देहरादून: इकबालपुर चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों का बकाया भुगतान कब होगा, यह अभी भी स्पष्ट नही हुआ है। किसानों के कई बार आंदोलन करने के बावजूद बकाया भुगतान करना मिल प्रबंधन को संभव नही हो पाया है। गन्ना बकाया भुगतान को लेकर मिल द्वारा जल्द राहत मिलने के आसार बहुत कम दिखाई दे रहे है। किसानों के बकाया भुगतान के लिए चीनी नीलामी का विकल्प सामने आया है, लेकिन लोन की गारंटर उत्तराखंड सरकार के बनने के बाद चीनी नीलामी होगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। चीनी की नीलामी करने वाले भगवानपुर तहसील को अभी तक चीनी की नीलामी को लेकर कोई आदेश नहीं मिले हैं।
तीन सितंबर को बोली के लिए खरीदारों को बुलाया गया था, लेकिन खरीदारों ने बोली लगाने से इंकार कर दिया था। खरीदारों का कहना था कि नीलामी की शर्तों को सरल किया जाए। इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और शुगर मिल मालिक श्रेया साहनी आदि के बीच बैठक हुई थी, लेकिन फिर भी अभी तक किसानों का कब उनका भुगतान होगा, यह तय नही है। सरकार और मिल प्रबंधन को साथ मिलकर बकाया भुगतान की समस्या को हल करने की मांग किसानों द्वारा उठाई जा रही है।
इकबालपुर चीनी मिल की हालत काफी ख़राब हो चुकी है। मिल आर्थिक तंगी से जूझ रही है जिसके कारण उसने अब तक गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं चुकाया है। चीनी मिल को हालही में एक बड़ा झटका मिला हथा, जिससे मिल की हालत अब और ख़राब होने वाली है क्यूंकि 38 गांव के किसानों ने साफ तौर पर ऐलान कर दिया है कि इस बार इकबालपुर चीनी मिल को किसी भी सूरत में गन्ने की आपूर्ति नहीं की जाएगी। जिससे कारण ऐसा लग रहा है की मिल अपना पेराई सत्र शुरू नहीं कर पाएगी।
चीनी मिल क्षेत्र के गन्ना किसान बौखलाए हुए है, क्यूंकि उन्हें अब तक मिल द्वारा गन्ना बकाया भुगतान नहीं चुकाया गया है। मिल की इतनी हालत ख़राब है की उनकी नीलामी की चीनी भी नहीं बिक रही है। चीनी मिल की ओर से दो साल से गन्ना किसानों का भुगतान नहीं किया गया है। बकाया को लेकर किसानों ने कई बार आंदोलन किया, फिर भी उन्हें भुगतान करने में चीनी मिल प्रशासन विफ़ल रहा है। आख़िरकार किसानों का भुगतान करने के लिए मिल की चीनी बेचने का फैसला लिया गया, लेकिन बार बार अड़चनों के वजह से चीनी बेचने में नाकयाबी ही हाथ लगी।
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