नई दिल्ली : चीनी मंडी
अधिशेष चीनी और गिरते दाम के चलते देश का चीनी उद्योग संकट से गुजर रहा है, इसके चलते सरकार और उद्योग द्वारा नए नए कदम उठाये जा रहे है। अब उत्तर प्रदेश की सहकारी चीनी मिलों में अब सल्फरलेस चीनी बनेगी। इसकी शुरुआत तीन मिलों ननौता, बेलरायां और सम्पूर्णानगर से होगी। इसके अलावा 18 सहकारी मिलों में शुगर कलर वैल्यू की जांच के लिए सुक्रोस्केन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे डबल रिफाइंड चीनी बनेगी। प्रदेश सरकार ने चीनी की गुणवत्ता और सहकारी मिलों के आधुनिकीकरण के लिए 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
100 करोड़ में से 25 करोड़ रुपये चीनी मिल संघ को मिल गए हैं। इससे 18 मिलों में नई तकनीक से डबल रिफाइंड चीनी उत्पादन की तैयारी कर ली गई है। पिपराइच चीनी मिल में गन्ने के जूस से इथेनॉल बनाया जाएगा। प्रदेश में इस समय 45 चीनी मिल संचालित हैं। इनमें से सहकारी क्षेत्र की 6, निजी क्षेत्र की 39 मिलें शामिल हैं। गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री सुरेश राणा ने मिलों के आधुनीकीकरण के लिए उपलब्ध कराए गए बजट को तय सीमा में बेहतर प्रबंधन के साथ खर्च करने के आदेश दिए।
बाजार में सफेद, ब्राउन और सल्फरलेस चीनी बिकती है । सामान्य तौर पर चीनी ब्राउन कलर की बनती है। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन भी होता है। उसे सफेद और महीन बनाने के लिए सल्फर मिला दिया जाता है। इससे अन्य तत्वों की मात्रा कम हो जाती है। इसका स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसमें कैरोरी की मात्रा अधिक होती है। इससे सांस की दिक्कत भी हो सकती है। बिना सल्फर मिलाए ही चीनी को रिफाइंड करके जो चीनी तैयार होती है, वह स्वास्थ्य के लिए बेहतर मानी जाती है। फिलहाल कुछ प्राइवेट चीनी मिलें ही सल्फरलेस चीनी बनाती हैं और महंगे दामों पर बेचती हैं। अब सरकारी मिलों में सल्फरलेस चीनी बनने से आम लोगों को सुलभ हो सकेगी।