नई दिल्ली: चीनी मंडी
लॉकडाउन का देश के अन्य उद्योगों के साथ साथ चीनी उद्योग पर अभी से काफी गहरा असर दिखाई दे रहा है। लॉकडाउन के कारण घरेलू चीनी की खपत में भी कमी है। रिपोर्टों के मुताबिक ऐसा अनुमान है कि इस सीजन में चीनी की खपत में लगभग 20 लाख टन तक की गिरावट आ सकती है।
कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने के लिए कई देशों ने लॉकडाऊन किया है, जिससे सारी दुनिया लॉकडाऊन की स्थिति में है। इस स्थिती का सीधा असर चीनी उद्योग और गन्ना किसानों पर हो रहा है। भारत में घरेलू इस्तेमाल के लिए चीनी की बिक्री होती है, और मिठाइयों, फार्मास्यूटिकल्स और पेय पदार्थों में भी चीनी का बडी मात्रा में उपयोग किया जाता है। वर्तमान में, लॉकडाऊन के कारण ये सभी उद्योग भी बंद हैं। गर्मियों की शुरुआत के बाद कोल्ड्रींक्स, मिठाई सहित अन्य उद्देश्यों के लिए चीनी की अच्छी मांग रहती है। अब सब जगह लॉकडाऊन है, इसलिए चीनी की बिक्री बिल्कुल ठप हुई है। मिलों के गोदामों मे चीनी की बोरियों का ढेर लगा हुआ है।
नैशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के एमडी प्रकाश नाइकनवरे ने बताया कि, 260 लाख टन के घरेलू खपत (सभी घरेलू और संस्थागत बिक्री को मिलाकर) के मुकाबले इस साल खपत 240 टन हो सकती है। उन्होंने कहा, गर्मी के चरम मौसम के दौरान चीनी की मांग में कमी की उम्मीद है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी पूरी चीनी आपूर्ति श्रृंखला को फिर से तैयार करने में 3-4 सप्ताह का समय लगेगा।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.