केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल किसानों और अन्य हितधारकों के मार्गदर्शन के लिए सार्वजनिक डोमेन में फसल विशिष्ट “ड्रोन के साथ कीटनाशकों के अनुप्रयोग के लिए मानक प्रचालन प्रक्रियाएं (एसओपी)” जारी की। श्री तोमर ने “मिलेट उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के लिए मशीनरी” नामक एक पुस्तिका का भी विमोचन किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि कृषि हमारी प्रधानता है, इसलिए चाहे रिसर्च का काम हो या योजनाएं सृजन का, सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि को बढ़ावा देने व किसानों की माली हालत में सुधार की रहती है। आज कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियां है। किसानों को खेती में रोकना, नई पीढ़ी को भी आकर्षित करना व उत्पादन लागत कम करते किसानों का मुनाफा बढ़ाना है। इनके लिए कृषि क्षेत्र में तकनीक का समर्थन बहुत जरूरी है, सरकार इस दिशा में सतत प्रयासरत है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में नित-नई चुनौतियों की संभावनाएं रहती है, इसलिए समय-समय पर सोच में बदलाव के साथ ही विधाओं का परिवर्तन जरूरी है। कृषि क्षेत्र की बात करें तो आने वाले कल में तकनीक का समर्थन किए बिना हम उद्देश्य प्राप्त नहीं कर पाएंगे, इसलिए योजनाओं को तकनीक से जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी हमेशा तकनीक के समर्थन पर बल देते हैं और उन पर स्वयं काम भी करते हैं। बड़ी योजनाओं की बात करें तो आज प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत करीब ढाई लाख करोड़ रु. किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं, जिसमें कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है। सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के भी अच्छे परिणाम आ रहे हैं। प्राकृतिक खेती जैसे विषयों को आगे बढ़ाया जा रहा है। हमारे देश ने नैनो यूरिया बनाया और जल्द ही नैनो डीएपी का लाभ किसान उठा सकेंगे। ड्रोन टेक्नालॉजी को सरकार ने कृषि क्षेत्र में स्वीकार किया है। पिछली बार जब टिड्डी का प्रकोप हुआ था तो उस समय ड्रोन के उपयोग की जरूरत महसूस की गई थी, तभी से प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार के पूरे समर्थन के साथ ड्रोन तकनीक हमारे सामने है। कृषि में लागत कम करने व कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से शरीर को बचाने में किसान ड्रोन द्वारा व्यापक लाभ मिलेगा।
श्री तोमर ने कहा कि जब भी हम कोई नया काम करते हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम व्यक्ति तक मदद अवश्य पहुंचे। यही कारण है कि जब ड्रोन की स्कीम बन रही थी, तब सामान्य किसान, सामान्य ग्रेजुएट को भी इसमें जोड़ा गया, ताकि ड्रोन का उपयोग छोटे किसानों तक सुलभ हो सकें। इस दिशा में सभी को मिलकर आगे और भी काम करने की जरूरत है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को और सक्षम बनाने की दृष्टि से भी कार्य करने की जरूरत पर उन्होंने जोर दिया व कहा कि स्नातक-स्नातकोत्तर कृषि विद्यार्थियों के लिए जागरूकता-सत्र कृषि विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों में आयोजित किए जाने चाहिए, जिनसे इन्हें रोजगार का सीधा साधन मुहैया हो सकेगा, वहीं उनकी अपनी भूमि होने पर वे खेती के लिए भी समर्थ होंगे। आम व्यक्ति तक ड्रोन का लाभ पहुंचे, इसकी योजना बनाना चाहिए।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर, संयुक्त राष्ट्र की घोषणानुसार, 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स (श्री अन्न) वर्ष के रूप में दुनियाभर में मनाया जा रहा है। विभिन्न आयोजनों में श्री अन्न को प्राथमिकता व मान्यता मिल रही है। इसके लिए प्रसन्नता के साथ हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। देश-दुनिया में श्री अन्न की मांग व खपत बढ़ेगी तो उत्पादन-उत्पादकता के साथ ही प्रोसेसिंग व एक्सपोर्ट भी बढ़ाना होगा।
कार्यक्रम में कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव श्रीमती शुभा ठाकुर, श्रीमती एस. रूक्मणि व सुश्री विजयलक्ष्मी, कृषि आयुक्त श्री पी.के. सिंह, उपायुक्त (मशीनीकरण व प्रौद्योगिकी) श्री सी.आर. लोही व श्री ए.एन. मेश्राम, ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया, आईसीएआर, एसएयू व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी-वैज्ञानिक, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी, एफएमटीटीआई के निदेशक व किसान शामिल हुए।
ड्रोन के लिए अनुदान सहायता- किसानों के खेतों में ड्रोन के प्रदर्शन हेतु आईसीएआर के संस्थान, केवीके, एसएयू, राज्य-केंद्र सरकार के अन्य कृषि संस्थानों व कृषि गतिविधियों में कार्यरत भारत सरकार के पीएसयू को कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन के तहत आकस्मिक व्यय के साथ ड्रोन लागत की 100% दर पर वित्तीय सहायता (प्रति ड्रोन 10 लाख रुपये तक) प्रदान की जाती है। एफपीओ को किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की खरीद के लिए 75% की दर से अनुदान सहायता दी जाती है। ड्रोन प्रयोग के जरिये कृषि सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किसान सहकारी समिति, एफपीओ व ग्रामीण उद्यमियों के तहत सीएचसी द्वारा ड्रोन खरीद हेतु ड्रोन की मूल लागत की 40% की दर से वित्तीय सहायता दी जाती है, जो अधिकतम 4 लाख रु. है। सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन की लागत के 50% की दर से अधिकतम 5 लाख रु. तक की वित्तीय सहायता हेतु पात्र हैं। व्यक्तिगत छोटे व सीमांत किसानों, एससी-एसटी के किसानों, महिला किसानों, पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को भी ड्रोन की लागत की 50% दर से अधिकतम 5 लाख रु. व अन्य किसानों को ड्रोन की लागत की 40% दर से अधिकतम 4 लाख रु. तक की सहायता प्रदान की जाती है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, विभिन्न कीटनाशकों/कवकनाशकों के प्रयोग के लिए विकसित एसओपी का उपयोग चावल, मक्का, कपास, मूंगफली, अरहर, कुसुम, तिल, सोयाबीन, गन्ना और गेहूं जैसी 10 चयनित फसलों के लिए किया जाएगा।
(With inputs from PIB)