कानपुर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI) की प्रायोगिक चीनी मिल में शनिवार से पेराई शुरू हो गई। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान दुनिया का एकमात्र चीनी संस्थान है, जो विभिन्न पाठ्यक्रमों के अपने छात्रों को ‘इनप्लांट’ प्रशिक्षण प्रदान करता है। लगभग 45 दिनों तक चलने वाली फैक्ट्री में मुख्य रूप से अपने खेत से गन्ने का उपयोग होगा।
राष्ट्रीय चीनी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा, प्रायोगिक चीनी मिल कई मायनों में अनूठी है। इसमें कच्ची, परिष्कृत और सफेद चीनी उत्पादन करने की सुविधा है, जिससे छात्रों को व्यापक अनुभव मिलता है। अन्य चीनी मिलें या तो कच्चे परिष्कृत या सफेद चीनी का उत्पादन करते है। यही कारण है कि संस्थान के छात्रों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान है।
प्रभारी शिक्षा अधिकारी अशोक गर्ग ने कहा, हम उन्हें गन्ने से लेकर चीनी उत्पादन और प्रबंधन तक का व्यापक व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने जा रहे हैं। चूंकि, हम गन्ने की कुछ नई किस्मों की खेती कर रहें हैं, छात्रों को गन्ने की गुणवत्ता का आकलन करने की पद्धति पर प्रशिक्षित किया जाएगा।