मांड्या की माईशुगर फैक्ट्री में पेराई का काम शुरू, 2.5 लाख टन गन्ना पेराई का लक्ष्य

मांड्या : माईशुगर फैक्ट्री ने वर्ष 2023-24 के लिए अपना पेराई कार्य फिर से शुरू कर दिया है। चीनी मंत्री शिवानंद पाटिल ने इस महीने की शुरुआत में मिल के पेराई कार्यों का शुभारंभ किया। यह कर्नाटक राज्य की एकमात्र सरकारी चीनी मिल है, जो मांड्या जिले में स्थित है। पेराई शुभारंभ के दौरान, चीनी मंत्री ने दावा किया कि यह फैक्ट्री पहले कुछ दिनों तक 1,500 से 2,000 टन पेराई करेगी और बाद में इसकी क्षमता बढ़ाकर 3,000 से 5,000 टन प्रतिदिन कर दी जाएगी। इसे 30 जून को चालू होना था, लेकिन टरबाइन में तकनीकी खराबी के कारण पेराई कार्य जुलाई तक के लिए टाल दिया गया। फैक्ट्री से एक लाख टन गन्ना पेराई की उम्मीद है।

अंग्रेजों के काल में स्थापित कर्नाटक की पहली चीनी मिल मांड्या में स्थित थी जिसे शुगर सिटी के नाम से भी जाना जाता है। 1933 के आसपास मैसूर के महाराजा रहे कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ ने कोलमैन नामक ब्रिटिश वैज्ञानिक के सहयोग से इस चीनी मिल की शुरुआत की थी। तब से लेकर अब तक मांड्या माईशुगर मिल कई असफलताओं का सामना करने के बावजूद भारत के विकास में अपना योगदान दे रही है। इस मिल में अभी भी करीब 2 लाख टन गन्ने की पेराई होती है। आमतौर पर जुलाई से फरवरी तक चीनी का उत्पादन होता है। मांड्या चीनी मिल 2015 से 2017 तक विभिन्न कारणों से बंद रही।

2018 में इसे फिर से शुरू किया गया और 2019 तक यह चालू रही। उसी साल से 2022 तक मिल के दरवाजे फिर से बंद हो गए।साल के आखिर में इसे फिर से शुरू किया गया। 2023-24 में करीब 2.40 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है।माईशुगर मिल फिर से चीनी उत्पादन के लिए तैयार है। यहां के किसान कई सालों से गन्ने की खेती करते आ रहे हैं। इस वजह से इस मिल में ज्यादा चीनी तैयार होती है और देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात की जाती है।वर्तमान में इस कारखाने में चालू वर्ष के लिए गन्ना पेराई शुरू हो चुकी है और 2.5 लाख टन गन्ना पेराई की उम्मीद है।

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