CSIR-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने पाइन नीडल्स-आधारित ईंधन बनाने की प्रौद्योगिकी को चंपावत में इस्तेमाल करने के लिए यूकॉस्ट के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश एवं मार्गदर्शन में “आदर्श चम्पावत” मिशन के तत्वावधान में 5 मार्च, 2024 को सीएसआईआर – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून (CSIR Indian Institute of Petroleum) एवं यूकॉस्ट के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट और यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने एमओयू दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और चंपावत में पाइन नीडल्स से ईंधन बनाने की प्रौद्योगिकी को इस्तेमाल करने के लिए एक ऐतिहासिक परियोजना का उद्घाटन किया।

इस समझौते के तहत, सीएसआईआर – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान चंपावत में जमीनी स्तर पर दो प्रमुख प्रौद्योगिकियों को कार्यान्वित करेगा। चयनित प्रौद्योगिकियों में पाइन नीडल्स पर आधारित 50 किलोग्राम प्रति घंटे की क्षमता वाली ब्रिकेटिंग इकाई और ग्रामीण घरों के लिए बेहतर कुकस्टोव की 500 इकाइयां शामिल हैं। ऊर्जा संरक्षण और इसके पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में एक विस्तारित फील्ड ट्रायल स्टडी आयोजित की जाएगी। महिला सशक्तिकरण पहल के एक भाग के रूप में चंपावत के ऊर्जा पार्क में ब्रिकेटिंग इकाई स्थापित की जाएगी। उत्पादित ब्रिकेट्स का उपयोग घरों और स्थानीय उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जाएगा।

सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि जंगल की आग की घटनाओं को कम करने के लिए पाइन नीडल्स का उपयोग और प्रबंधन जरूरी है। पाइन नीडल ब्रिकेट और गोली कोयले का स्थान ले सकते हैं और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। ब्रिकेट्स का उपयोग घरेलू खाना पकाने और ईंट भट्टों और ताप विद्युत संयंत्रों में प्रत्यक्ष या को-फायरिंग ईंधन के रूप में किया जा सकता है।

श्री बिष्ट ने यह भी बताया कि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान पाइन नीडल्स के उपयोग और मूल्यवर्धन की दिशा में कड़ी मेहनत से काम कर रहा है और उसने पाइन नीडल्स की ब्रिकेटिंग के लिए एक बेहतर प्रौद्योगिकी और एक ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाला, नेचुरल ड्राफ्ट बायोमास कुकस्टोव विकसित किया है। बायोमास कुकस्टोव पाइन नीडल्स ब्रिकेट्स के साथ 35 प्रतिशत की ऊर्जा दक्षता पर काम करता है और घरेलू प्रदूषण को 70 प्रतिशत तक कम करता है। इसके अलावा, सीएसआईआर – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ताप विद्युत संयंत्रों में उपयोग के लिए बायोमास गोली को प्रमाणित करने के लिए नामित एक प्रयोगशाला है। प्रयोगशाला में बायोमास करेक्ट्राईजेशन और बायोमास दहन उपकरण के आकलन के लिए उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं।

प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में यूकॉस्ट, एक नोडल एजेंसी के रूप में, चम्पावत को एक आदर्श जिला बनाने के लिए वर्षों से काम करती आ रही है। उन्होंने हमें सूचित किया कि पाइन नीडल्स का संग्रह, इसका मूल्यवर्धन और उद्योग को इसकी आपूर्ति चंपावत के ग्रामीण लोगों के लिए अच्छे व्यवसाय के अवसर प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, ब्रिकेटिंग और गुणवत्ता नियंत्रण मापदंडों पर मामूली तकनीकी प्रशिक्षण के साथ, चंपावत के ग्रामीण लोग इसे उद्योगों को आपूर्ति कर सकते हैं और इसे आय का नियमित स्रोत बना सकते हैं। पाइन नीडल्स ब्रिकेटिंग को नियमित रोजगार के अवसर प्रदान करते हुए एक पूर्णकालिक क्षेत्र में परिवर्तित किया जा सकता है, क्योंकि भविष्य में इन ब्रिकेट्स की बहुत मांग होगी। इसके अलावा, बेहतर कुकस्टोव का निर्माण और इनका विपणन कुशल और अर्ध-कुशल ग्रामीण जनता के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाएगा। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की एक अन्य प्रयोगशाला, सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ भी “अरोमा मिशन” के तहत चंपावत में बहुत अच्छा काम कर रही है।

प्रमुख परियोजना वैज्ञानिक श्री पंकज आर्य ने सूचित किया कि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान चंपावत जिले के सतत विकास के लिए प्रदर्शन, कार्यान्वयन और कौशल विकास के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित मॉडल पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना प्रशिक्षण, कौशल विकास और बाजार संपर्क के माध्यम से ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देगी। इसके अलावा, 100 से अधिक चिन्हित लाभार्थियों/हितधारकों को बायोमास ब्रिकेटिंग और उन्नत दहन उपकरणों के निर्माण, संचालन और रखरखाव में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे चंपावत में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। साथ ही, स्थानीय महिलाओं और युवाओं के वैज्ञानिक स्वभाव और कौशल विकास को पुनर्जीवित करने के लिए दूरस्थ शिक्षा विधियों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। अंततः यह परियोजना चंपावत में ऊर्जा संरक्षण, रोजगार सृजन, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण में सहायता करेगी। इस अवसर पर, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान से डॉ. सनत कुमार और डॉ. जी.डी. ठाकरे तथा यूकॉस्ट से डॉ. डी.पी. उनियाल एवं श्रीमती पूनम गुप्ता भी उपस्थित थीं, जिन्होंने परियोजना को डिजाइन करने में आवश्यक योगदान दिया और इसके सफल कार्यान्वयन के लिए अपने सुझाव दिए।

(Source: PIB)

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