ऊर्जा संरक्षण के लिए डालमिया चीनी मिल सम्मानित

सीतापुर, 15 जुलाई: केन्द्र सरकार देश में ऊर्जा ज़रूरतों के बेहतर तरीक़े से उपयोग कर बिजली संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए राज्यों को भी निर्देश दिए गए है। निर्देशों के तहत यूपी की कई चीनी मिले अपने यहाँ परंपरागत ऊर्जा माध्यमों को अपना रही है। चीनी मिलों की इस पहल से एक ओर जहाँ पर्यावरण का संरक्षण हो रहा है वहीं दूसरी ओर सस्ती ऊर्जा खपत से उनको आर्थिक लाभ भी हो रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पंरपरागत ऊर्जा माध्यमों से ऊर्जा पैदा कर बिजली बचाने वाले कई संस्थानों को सम्मानित करने का काम भी शुरु किया है। इसी क्रम में प्रदेश में ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए शुगर इंडस्ट्रीज सेक्टर के अंतर्गत सूबे के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण द्वारा सीतापुर में स्थित डालमिया चीनी मिल को सम्मानित किया। यह सम्मान डालमिया चीनी मिल की जवाहर पुरवा रामगढ़ यूनिट को दिया गया। डालमिया चीनी मिल की इस यूनिट ने सौर ऊर्जा पैदा कर चीनी मिल में बिजली बचाने का काम किया। इसके लिए विभाग से सचिव आलोक कुमार एवं निदेशक अमृता सोनी एवं सीतापुर के वरिष्ठ परियोजना निदेशक नेडा राधेश्याम ने संयुक्त रूप से मिल को सम्मानित किया। चीनी मिल यूनिट की तरफ़ से वरिष्ठ अधिकारी यूनिट के उमेश उपाध्याय पुरस्कार ग्रहण किया।

पुरस्कार देने के बाद मीडिया से बात करते हुए नेडा के वरिष्ठ परियोजना निदेशक राधेश्याम ने कहा कि सरकार सभी चीनी मिलों को नवीन और नवीकरणीय माध्यम अपनाकर परंपरागत ऊर्जा श्रोतों के जरिए बिजली पैदा करने के लिए प्रोत्साहन कर रही है, इसी क्रम में अच्छा काम करने वाली चीनी मिलों को सम्मानित किया गया हैँ। राधेश्याम ने कहा कि जो चीनी मिल सौर ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा माध्यम अपने यहाँ लगा रही है उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण विभाग वित्तीय सहयोग भी करता है साथ ही अतिरिक्त बिजली पैदा करने पर उसे सरकार ख़रीदती भी है। राधेश्याम ने कहा कि सरकार की इस पहल से प्रदेश की कई चीनी मिलें सौर ऊर्जा माध्यमों को अपना रही है।

पुरस्कार मिलने पर प्रतिक्रिया देते हुए उमेश उपाध्याय ने कहा कि बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना इंडस्ट्री के लिए बेहद ज़रूरी है। लेकिन इसके लिए उद्योग जगत को बिजली के विकल्प के तौर पर किफ़ायती ऊर्जा के श्रोतों पर विचार करने की ज़रूरत है। उमेश ने कहा कि परंपरागत माध्यमों से तैयार ऊर्जा न केवल सस्ती पड़ती है बल्कि इससे समय की बचत भी होती है। उमेश ने कहा कि ज़रूरत के हिसाब से हम ऊर्जा का उपयोग करते है और शेष बची ऊर्जा दूसरों को बेच देते है । इससे हमें तीन तरह से आर्थिक लाभ है। एक तो बिजली की तुलना में ये सस्ती है, दूसरा शेष बची बिजली बेचने अतिरिक्त आमदनी होती है और तीसरा पर्यावरण संरक्षण करने में मदद भी मिलती है।

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