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नयी दिल्ली 07 जून (UNI) रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती करने और तटस्थता वाले रूख के स्थान पर एकोमोडेटिव रूख अपनाने के फैसले का उद्योग जगत ने स्वागत करते हुये गुरूवार को कहा कि केन्द्रीय बैंक की इस पहल से अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती को थामने में मदद मिलेगी।
उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि केन्द्रीय बैंक ने लगातार तीन बार नीतिगत दरों में कटौती की है जो स्वागत योग्य कदम है और इससे बैंक रिटेल और कार्पोरेट ऋण पर ब्याज दरों में कमी करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। पिछली दो बार में नीतिगत दरों में आधी फीसदी की कटौती के बावजूद बैंकों ने इसका पूरा लाभ अब तक खुदरा या कार्पोरेट ऋण लेने वालों को नहीं दिया है। तंत्र में तरलता की कमी की वजह से नीतिगत दरों में कटौती लगभग अप्रभावी रहा है।
उन्होंने कहा कि कारोबारी धारणा में सुधार, उपभोक्ता विश्वास और अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि लाने की कोशिश करना समय की मांग है। अभी भी भारत में वास्तविक ब्याज दर दुनिया में सबसे अधिक है। इसके मद्देनजर आगे भी नीतिगत दरों में कटौती किये जाने की जरूरत है। रिजर्व बैंक को रिवर्स रेपाे दर में भी और अधिक कटौती करने पर विचार करना चाहिए जिससे तंत्र में तरलता में सुधार हो।
उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चरणजीत बनर्जी ने कहा कि उनके संगठन के सुझाव के अनुरूप रिजर्व बैंक लगातार तीसरी बार नीतिगत दरों में कटौती की है जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। केन्द्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती से स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि वह अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती को थामने के लिए प्रयासरत है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने तटस्थता वाले रूख के स्थान पर एकोमोडेटिव रूख अख्तियार कर आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए लचीला रूख अपनाने का भी संकेत दिया है।
एसोचैम के अध्यक्ष बी के गोयनका ने नीतिगत दरों में कटौती किये जाने का स्वागत करते हुये कहा कि केन्द्रीय बैंक के निर्णयों से आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने और कारोबारी धारणा में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बैंक पिछले तीन बार से लगातार नीतिगत दरों में कटौती कर रहा है और यदि बैंक इसका सही मायने में लाभ देगा तभी इसका कुछ फायदा होगा। इससे तरलता में सुधार होने के साथ ही उधारी की लागत भी कम होगी।