चेन्नई: तमिलनाडु के गन्ना किसानों ने मांग की है कि, राज्य में चीनी मिलों से 2018-19 के सीजन का 400 करोड़ का बकाया एफआरपी और 2013-14 से 2016-17 तक 1,200 करोड़ का बकाया स्टेट एडवाईसड प्राइस (SAP) जल्दी से जल्दी भुगतान किया जाए। बकाया भुगतान में देरी के कारण किसानों को आर्थीक कठिइनाईयों का सामना करना पड रहा है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और चुनिंदा बैंकों के सीईओ, राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बातचीत में, दक्षिण भारतीय चीनी मिल संघ (सिस्मा) और गन्ना किसानों के प्रतिनिधियों ने अपनी शिकायतों के बारे में बताया और सरकार से मदद की गुहार लगाई। गन्ना किसान संघठन ने केंद्र सरकार से 9.5% की गन्ना रिकवरी दर के लिए 2,750 प्रति टन से एफआरपी बढ़ाकर 4,000 रूपये प्रति टन करने का अनुरोध किया। उन्होंने केंद्र से 16 सहकारी और दो सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों को पुनरूज्जीवन के लिए वित्तीय रूप से सहायता करने का अनुरोध किया। संघठनों ने चीनी मिलों पर चीनी बेचने के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का मुद्दा भी उठाया, क्योंकि वे अन्य राज्यों के चीनी मिलों के मुकाबले चीनी बेचने में सक्षम नहीं थे, और अनुरोध किया कि प्रतिबंधों का फिर एक बार जायजा लिया जाए।
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