बेंगलुरु: कर्नाटक में गन्ना किसानों ने राज्य में सूखे के मद्देनजर कृषि ऋण माफ़ करने की मांग की है। मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, कर्नाटक राज्य गन्ना कृषक संघ के अध्यक्ष कुरुबुर शांताकुमार ने कहा कि पिछले साल 14 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की गई थी और चालू वर्ष के दौरान यह घटकर कम हो गई है। उन्होंने कहा, मानसून की विफलता के कारण लंबे समय तक जल संकट के कारण खड़ी फसलें प्रभावित हुई है, जो मुरझा रही हैं और उपज में गिरावट की आशंका है। परिणामस्वरूप, किसान संकट में है और फिर भी राज्य और केंद्र से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। उन्होंने कहा, चीनी मिलें किसानों का बकाया जारी करने में देरी कर रही है, जिससे किसानों का दुख और वित्तीय संकट बढ़ रहा है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष कुरबुर शांताकुमार ने कहा, राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि 195 तालुका सूखे से प्रभावित हुए हैं और इसलिए यह जरूरी है कि सरकार ऋण माफी की भी घोषणा करे। उन्होंने मांग की कि प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ 25,000 रुपये की सूखा राहत डीबीटी के माध्यम से उनके संबंधित खातों में जमा की जानी चाहिए। गन्ने के लिए राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) की घोषणा में देरी के लिए भी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा, जबकि उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में मामूली वृद्धि के लिए केंद्र की आलोचना की गई।
शांताकुमार ने कहा कि, कई दौर के आंदोलनों और जिला प्रशासन के साथ बातचीत के बावजूद सरकार अनुत्तरदायी रही और इसलिए एसोसिएशन 1 अक्टूबर से विधान सौध के सामने अनिश्चितकालीन धरना देगा।