चीनी उद्योग कोरोना संकट के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक और चॉकलेट जैसे विविध प्रकार के उत्पादों के कन्फेक्शनरों और निर्माताओं से औद्योगिक इस्तेमाल के लिए मांग में गिरावट के कारण चीनी की बिक्री ठप है। इसके अलावा चीनी के उप-उत्पाद की बिक्री भी धीमी है जिससे चीनी मिलों के सामने राजस्व की समस्या पैदा हुई है। ऐसे समय में उद्योग सरकार से राहत की उम्मीद कर रहा है ताकि वे वापस से उठ सके और अगले सीजन में अपना परिचालन सामान्य तरीके से कर पाए।
नैशनल फेडरेशन ऑफ को-आपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के एमडी प्रकाश नाइकनवरे ने हालही में सीएनबीसी आवाज़ को दिए गए एक इंटरव्यू में चीनी उद्योग की कठिनाइया और उसे कैसे बाहर निकला जाए इसपर चर्चा की। उन्होंने कहा, “मार्च के मध्यान्त तक चीनी उद्योग के चेहरे पर एक मुस्कान थी क्यूंकि घरेलु बाजार में चीनी के दाम टीके हुए थे, चीनी निर्यात ने रफ़्तार पकड़ ली थी और अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर 70 लाख टन चीनी की कमी थी और दाम भी अच्छे थे लेकिन Covid-19 ने सब पलट दिया। इसके कारण आइसक्रीम, स्वीट ड्रिंक, शादी और अन्य त्योहारों पर बुरा असर हुआ है। घरेलु खपत 20 लाख टन से कम हो गयी है। पहली बार ऐसा हो रहा है। निर्यात में जरूर कुछ दिक्कतें आयी थी लेकिन हमारे खाद्य मंत्रालय ने समय रहते हुए इसमें हस्तक्षेप किया और निर्यात ने अच्छी रफ़्तार पकड़ी।
उन्होंने आगे कहा, अभी तक 42 लाख टन निर्यात के लिए अनुबंध हुए है, और मुझे लगता है हम 50 लाख टन तक जा सकेंगे। अब तक 37 लाख टन इंडोनेशिया, ईरान, मलेशिया, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य देशों में निर्यात भी हो चुके है।
कोरोना संकट के कारण चीनी उद्योग की बैलेंस शीट काफी डिस्टर्ब हो गयी है। इस पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “इस सीजन हम 145 लाख टन ओपनिंग स्टॉक के साथ सीजन में दाखिल हुए थे, और इस बार का चीनी उत्पादन 265 लाख टन है। हमारे पास कुल चीनी उपलब्ध थी 410 लाख टन और इस बार कोरोना के कारण हमारा चीनी खपत जो आम तौर पर 260 लाख टन रहता है वो अब 240 लाख टन है। और इस सीजन चीनी निर्यात 50 लाख टन तक रहेगा। अगर हम इस आंकड़ों को देखे तो, इस सीजन 30 सितम्बर तक हमारा क्लोजिंग स्टॉक 120 लाख टन रहेगा। अब नए सीजन में हम 120 लाख टन के साथ आगे बढ़ेंगे और चीनी उत्पादन 300 लाख टन की उम्मीद है मतलब हमारे पास नए सीजन में 420 लाख टन चीनी उपलब्धता होगी। उसमे से 40 लाख टन चीनी निर्यात की उम्मीद है। और घरेलु खपत 260 लाख टन होगी। यह आंकड़ों के हिसाब से क्लोजिंग स्टॉक फिर 120 लाख टन होगा। इससे चीनी के दामों पर जरूर असर पड़ने वाला है।
निर्यात पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की निर्यात में कुछ सुधार दिख रहा है लेकिन यह अस्थायी है क्यूंकि ब्राज़ील बहुत बड़े पैमाने पर चीनी बाजार में लेके उतर रहा है। ब्राज़ील ने गन्ने का डायवर्सन चीनी उत्पादन के तरफ 33 प्रतिशत से 48 प्रतिशत कर दिया है। अगर यह सब चीनी बाजार में आएंगे तो जून के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दामों पर जरूर असर पड़ेगा।
उन्होंने चीनी MSP से जुडी खबर पर भी चर्चा की और कहा की इसका बढ़ना बहुत जरुरी है। और इसके संदर्भ में हमारी चर्चा जॉइंट सेक्ट्रेटरी (शुगर) और सेक्ट्रेटरी (फूड) के साथ वीडियो कॉनफेरेन्स के माध्यम से हुई। और हमने यह बात जोर देके राखी है की, MSP में बढ़ोतरी होनी चाहिए। हमने आर्डिनरी S ग्रेड के लिए 3450 रूपये और देढ-देढ रूपये के फरक से स्पेशल S और M ग्रेड में बढ़ोतरी की मांग रखी है यानी स्पेशल S के लिए 3600 रूपये और 3750 रूपये M ग्रेड के लिए। हमने इसके साथ सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट भी दिए है जहा प्रोडक्शन कॉस्ट इसके आस पास ही आ रहा है। हमने ड्युअल प्राइसिंग पर भी चर्चा की और सुझाव दिया की औद्योगिक और घरेलु चीनी दामों में बदलाव होना जरुरी है। हमने और एक सुझाव दिया की इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप फॉर्म किया जाए क्यूंकि चीनी उत्पादन से जुड़े काम एक मिनिस्ट्री से नहीं बल्कि कई मिनिस्ट्री से जुड़ा हुई है और यह बनने से चीनी के संबंध से जुडी कठनाईया को हल किया जा सके।
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