भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 के नियम 3 में प्रस्तावित संशोधन पर टिप्पणियां प्रस्तुत करने की समय-सीमा बढ़ा दी है। प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 29.07.2024 थी जिसे अब 30.08.2024 तक बढ़ा दिया गया है।
विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियमावली, 2011 में उपभोक्ताओं के हित में सभी पूर्व-पैकेज्ड कमोडिटीज पर निर्माता/पैकर/आयातकर्ता का नाम और पता, उत्पत्ति का देश, कमोडिटी का सामान्य या जेनेरिक नाम, शुद्ध मात्रा, निर्माण का महीना और वर्ष, एमआरपी, यूनिट बिक्री मूल्य, मानव उपभोग के लिए कमोडिटी के अनुपयुक्त होने की स्थिति में सर्वोत्तम उपयोग की तिथि, उपभोक्ता देखभाल विवरण आदि जैसी अनिवार्य जानकारी की घोषणा अधिदेशित की गई है।
तथापि, उक्त नियम, 2011 के नियम 3 में यह प्रावधान है कि सीमेंट, उर्वरक और 50 किलोग्राम से अधिक बैग में बेचे जाने वाले कृषि फार्म उत्पादों को छोड़कर ये नियम 25 किलोग्राम या 25 लीटर से अधिक मात्रा वाले पैकेज्ड वस्तुओं पर लागू नहीं होंगे क्योंकि यह माना जाता है कि खुदरा बिक्री के लिए पैकेज्ड वस्तुएं 25 किलोग्राम से अधिक नहीं होती हैं।
भारत सरकार का उपभोक्ता मामले विभाग ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्लेटफॉर्म सहित बाजार के बढ़ते दायरे को ध्यान में रखते हुए पैकेज्ड वस्तुओं के लिए एकरूपता स्थापित करने हेतु विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 में संशोधन पर विचार कर रही है।
विभाग को विभिन्न सुझाव/टिप्पणियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनकी वर्तमान में जाँच की जा रही है। विभाग को विभिन्न फेडरेशन, एसोसिएशन और अन्य हितधारकों से भी टिप्पणियाँ/प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने की समय-सीमा बढ़ाने के अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं।
संशोधित प्रावधान में यह प्रावधान होगा कि ये नियम औद्योगिक उपभोक्ताओं या संस्थागत उपभोक्ताओं के लिए बेची जाने वाली पैकेज्ड वस्तुओं को छोड़कर खुदरा में बेची जाने वाली सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर लागू होंगे।
यह संशोधित प्रावधान पैकेज्ड वस्तुओं के लिए एकसमान मानक/आवश्यकताएं स्थापित करने, विभिन्न ब्रांडों और उत्पादों में एकरूपता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने में मदद करेगा और उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी के आधार पर सूचित विकल्प बनाने में मदद करेगा।
(Source: PIB)