अमरावती: बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार नए नए उद्योगों को बढ़ावा दे रही है, तो दूसरी ओर, अरबों रुपये की संपत्ति वाले एक चीनी मिल को ताला लगने के कगार पर है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए, पश्चिमी महाराष्ट्र की तरह अमरावती जिले के धामनगांव तालुका क्षेत्र, सुजलम सुफलाम बनाने के लिए अन्नासाहेब देशमुख ने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा चीनी मिल को मंजूरी लि थी। ऐसा आरोप है की धामनगांव तालुका में एकमात्र देवगांव चीनी मिल में लापरवाही के कारण सैकड़ों श्रमिक रोजगार से वंचित हो गए हैं। तथ्य यह है कि मिल की अरबों की संपत्ति कचरे के भाव में बेची गई है। मिल अब आखरी सांसे गिन रही है।
अन्नासाहेब देशमुख ने मिल मंजूरी के साथ साथ सैकड़ों किसानों को एक साथ लाना, अरबों रुपये के शेयर और पैसा जुटाना और क्षेत्र में गन्ने के रोपण के अभाव के बावजूद मिल को खड़ा किया था। लेकिन उनके आकस्मिक निधन के बाद, तत्कालीन विधायक और तत्कालीन राज्य मंत्री यशवंतराव शेरेकर ने चीनी मिल की जिम्मेदारी अपने सर पर लि और बाहरी क्षेत्र से गन्ना लाकर चीनी का उत्पादन किया। कुछ दिनों बाद निदेशक मंडल के इस्तीफे के साथ, मिल में प्रशासक नियुक्त करने का समय आ गया, नतीजतन मिल का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया।
खबरों के मुताबिक, मिल का बहुत सारा सामान चोरी हो गया, कुछ को पुलिस ने जब्त कर लिया। जनप्रतिनिधियों ने किसानों के हित के लिए मिल शुरू करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे तालुका की एकमात्र चीनी मिल हमेशा के लिए बंद हो गई ।7 मार्च 2003 को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख दौरे पर आए थे, तब विधायक वीरेंद्र जगताप ने मुख्यमंत्री से मिल कर देवगांव चीनी मिल का मुद्दा उठाया था। मुख्यमंत्री ने उस समय आश्वासन दिया, लेकिन आश्वासन पूरा नहीं हुआ।
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