गन्ना मजदूरों के मुद्दे पर 12 जून को मंत्रालय के सामने धरना

मुंबई : गन्ना मजदूरों के नेता राजन क्षीरसागर ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया की, गन्ना कटाई के लिए दिए गए अग्रिम पैसे की वसूली के लिए गन्ना मजदूरों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। रोजगार में कमी के चलते इन गन्ना मजदूरों को आर्थिक सहयोग की दरकार है, लेकिन सरकार इससे बच रही है और सरकार के पक्षपातपूर्ण और अनुचित रवैये के विरोध में इंटक प्रणीत लालबावटा गन्ना श्रमिक, मुकादम और ट्रांसपोर्टर्स यूनियन की ओर से 12 जून को मंत्रालय के सामने धरना दिया जाएगा। शुक्रवार (26) को पत्रकार वार्ता कर जानकारी दी।

क्षीरसागर ने कहा, राज्य में दस लाख से अधिक गन्ना श्रमिक काम कर रहे हैं। इन श्रमिकों के लिए कोई कानूनी सुरक्षा और कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है, जो निम्न स्तर का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। चीनी मिलें बिना किसी कानूनी प्रावधान और सामाजिक सुरक्षा के इन मजदूरों को काम पर लगा रही हैं। उन्होनें कहा, चीनी आयुक्त के अनुसार इस पेराई सीजन में गन्ने के प्रति एकड़ उत्पादन में गिरावट हुई है। गन्ना उत्पादन में गिरावट के गन्ना श्रमिकों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। इससे गन्ना काटने वाले मजदूरों की मजदूरी कम हो गई है।

क्षीरसागर ने आरोप किया की, चीनी मिल मालिक और उनके एजेंट मजदूरों से मजदूरी वसूलने के लिए अपहरण, मारपीट, जबरन वसूली आदि जैसे अवैध तरीकों का सहारा ले रहे हैं। ऐसी सैकड़ों घटनाएं चालीसगांव, कन्नड़, सिल्लोड, जाफराबाद, भोकरदन, लोनार, जिंतूर, रिसोद, सेनगाव, अवध, कलमनुरी तालुकों में हो रही हैं। क्षीरसागर ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं थाने की डायरी में भी दर्ज नहीं है।

यूनियन द्वारा की गई मांगें…

– कोल्हापुर पुलिस प्रशासन द्वारा दर्ज 150 मुकदमों को तत्काल निलंबित करें

– चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा घोषित 50 रुपये प्रति टन विशेष भत्ता सीधे मजदूरों को दिया जाए

– गन्ना कटाई को अनुसूचित रोजगार में शामिल किया जाए।

– मजदूरों को हार्वेस्टर मशीनों के हिसाब से प्रति टन 499 रुपये का भुगतान किया जाए

– गन्ना और प्रवासी मजदूरों के लिए माथाडी एक्ट की तरह ही अलग कानून बनाएं

– ग्राम पंचायतों के माध्यम से गन्ना मजदूरों का पंजीकरण करें

– गन्ना मजदूरों के बकाये को संस्थागत ऋण में बदलें

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