न्यूनतम प्रसंस्करण से प्राप्त प्राकृतिक चीनी, उच्च गुणवत्ता वाली सल्फर रहित चीनी, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीनी और फोर्टिफाइड चीनी, भारतीय चीनी उद्योग के कुछ भविष्य के उत्पाद होने जा रहे हैं। इसके अलावा ब्राउन शुगर, लिक्विड शुगर, फार्मास्युटिकल शुगर और फ्लेवर्ड शुगर की भी बाजार मांग में तेजी देखी जा सकती है।
स्वास्थ्य के साथ चीनी से संबंधित कई विवादों के बीच, भारतीय चीनी उद्योग को बदलते उपभोक्ता व्यवहार, घरेलू क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं और विदेशी बाजार की मांग के अनुसार चीनी का उत्पादन करने के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाना होगा। हमें आम उपभोक्ताओं को किफायती कीमतों पर पोषक मूल्य वाला बेहतर स्वीटनर देने के लिए उत्पाद प्रोफ़ाइल को बदलना होगा। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के पूर्व निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा, साथ ही, जब कुल चीनी का लगभग 60% थोक उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग किया जाता है, तो अलग-अलग उपयोग के लिए आवश्यक विभिन्न गुणवत्ता वाली चीनी का उत्पादन किया जाना चाहिए।
बढ़ी हुई आय स्तर, शहरीकरण, गतिहीन जीवन शैली और खाने के लिए तैयार सुविधाजनक वस्तुओं की बढ़ती मांग के साथ आहार संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव जैसे कारकों से ऐसी विशेष प्रकार की चीनियों की मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। बेकरी, कन्फेक्शनरी और पेय उत्पादों की बढ़ती खपत से खाद्य और पेय उद्योग में ऐसी चीनी की बिक्री में वृद्धि की उम्मीद है। दुनिया भर में बेकरी, कन्फेक्शनरी और पेय उद्योग की वृद्धि से आने वाले वर्षों में विशेष चीनी की बिक्री में तेजी आने की संभावना है, और इसका बाजार मूल्य 2031 तक लगभग 7% सीएजीआर पर बढ़ने का अनुमान है।
हमें रसायनों के न्यूनतम उपयोग के साथ कम लागत पर ऐसी शर्करा का उत्पादन करने के लिए तकनीकी-आर्थिक प्रक्रियाओं का आविष्कार करते रहना होगा। हमें दो चरण की प्रक्रिया पर काम करना होगा, सबसे पहले “प्राकृतिक चीनी” का उत्पादन करना, जिसमें केवल सीमित मात्रा में चूने को रस को साफ़ करने में उपयोग किया जाता है, जिसका उपयोग, आंशिक रूप से आम उपभोक्ताओं द्वारा सीधे खपत के लिए और कुछ हिस्से को शुद्ध करके उच्च गुणवत्ता वाली सल्फर रहित चीनी का उत्पादन, थोक उपभोक्ता या अन्य विशेष शर्करा उत्पादन के लिए किया जाए, प्रोफेसर मोहन ने कहा।
जब अब डिस्टिलरीज, चीनी कारखानों के साथ एकीकृत है, तो डिस्टिलरी मे प्रयुक्त फेर्मेंटेर्स से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग ऐसी चीनी रिफाइनरियों में चीनी को शुद्ध करने के लिए सही समय है, जिसके परिणामस्वरूप कम लागत पर वांछित गुणवत्ता की चीनी का उत्पादन होगा। प्रोफेसर मोहन ने कहा, गन्ने के रस के शुद्दिकरण हेतु इस तकनीक के सफल परीक्षण पहले ही किए जा चुके हैं और प्रक्रिया का पेटेंट कराया जा चुका है।