नई दिल्ली : चीनी मंडी
चीनी के बम्पर उत्पादन से निपटने के लिए केंद्र सरकार कितनी भी कोशिशे क्यूं न करे लेकिन आंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के लगातार गिरते दाम चीनी निर्यात का रोड़ा बनी हुई है। भारत में आंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में प्रति क्विंटल ७००-८०० रूपये जादा भाव है, इसी वजह से देश से चीनी निर्यात बिलकुल ही ठप हो चुकी है। इससे निर्यात कोटा यथावत रहने की संभावना है।
पाकिस्तान के चीनी से राजकीय गलियारों में बवाल
इस सीझन के ३२० लाख मेट्रिक टन चीनी उत्पादन के मुकाबले अगले सीझन में ३५० मेट्रिक टन की संभावना जताई जा रही है, लेकिन घरेलू बाजार में खपत और निर्यात बढने की सम्भावना अभी तो ना के बराबर है। और तो और सरकार ने हर माह जो २ लाख टन चीनी निर्यात का कोटा दिया है, इसमें अभीतक एक बोरी भी निर्यात नहीं हुई है। उलटे पिछले दिनों पाकिस्तान से ही सस्ती चीनी भारत ने आयात की थी, इसके बाद राजकीय गलियारों में बड़ा बवाल मच गया था ।
ब्राजील का तगड़ा मुकाबला
ब्राजील ३२३ डॉलर प्रति टन भाव से दुनियाभर में चीनी बेच रहा है। ऐसे में डॉलर दिन ब दिन महंगा होने से भारत की चीनी भी ब्राजील की तुलना में महंगी हो रही है। दूसरी तरफ भारत ने चीनी आयात पर १०० फीसदी आयात शुल्क लगाकर सस्ती चीनी को भारत आने के रास्ते को रोक दिया है, लेकिन दुसरे देश भी भारत से भी सस्ती चीनी का बाजार ढूंड रहे है, इससे भारत के चीनी उद्योग को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
चीनी निर्यात बिलकुल ठप
अधिशेष चीनी और किसानों का करोड़ो का बकाया चुकता करने में मिलों को आसानी हो, इसलिए सरकारद्वारा चीनी निर्यात के लिए कदम उठाये गये, लेकिन इस वक़्त घरेलू बाजार की तुलना में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमते प्रति क्विंटल लगभग ७००-८०० रूपये कम है। इसके चलते नुकसान में कोई भी चीनी मिल निर्यात करना नहीं चाहती, इससे चीनी निर्यात बिलकुल ठप हो चुकी है ।जल्द ही नये गन्ना क्रशिंग का आगाज होने जा रहा है ; और अब भी मिलें पिछले दो सालों के चीनी स्टॉक को लेकर परेशान है, इससे निजाद पाने के लिए चीनी मिलें जुंज रही है ।