कोल्हापुर: पिछले डेढ़ महीने से अच्छी बारिश नही हुई है और राज्य पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है। कोल्हापुर को छोड़कर राज्य के गन्ना बेल्ट में स्थिति अधिक गंभीर हो गई है। खासकर सोलापुर और मराठवाड़ा में पशु चारे की कमी हो गई है और किसान चारे के लिए गन्ने का इस्तेमाल करने लगे हैं। चीनी उद्योग के विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि, यदि राज्य सरकार ने सूखे से राहत के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए तो इसका सबसे प्रतिकूल प्रभाव आनेवाले चीनी सीजन पर पड़ेगा। आनेवाले सीजन में राज्य में चीनी का उत्पादन इस साल के 105 लाख टन से घटकर 90 लाख टन होने की संभावना है।
कोल्हापुर को छोड़कर राज्य में गंभीर स्थिति…
इस साल कोल्हापुर में अच्छी बारिश हुई है। साथ ही जिले में सिंचाई व्यवस्था अच्छी होने के कारण अभी तक सूखे की स्थिति महसूस नहीं हुई है। पशुओं के चारे की भी फिलहाल कोई समस्या नहीं है, लेकिन राज्य में अन्य जगहों पर गन्ना का चारे के लिए इस्तेमाल शुरू हो गया है। सोलापुर समेत मराठवाड़ा के कुछ जिलों में पशु चारे की समस्या गंभीर हो गई है। किसानों ने गन्ना फसल चारे के लिए बेचना शुरू कर दिया है। अगर सरकार ने पशुओं के लिए चारा शिविर शुरू करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाया, तो राज्य की चीनी मिलों को पेराई के लिए गन्ने की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
आंकड़े क्या कहते हैं..?
2021-22 में महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 137 लाख टन था। इस साल यह 105 लाख टन पर आ गया। 2023-24 सीज़न में, महाराष्ट्र के साथ-साथ कर्नाटक के गन्ना बेल्ट में भी बारिश की कमी के कारण उत्पादन में और गिरावट आने की आशंका है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) ने अगस्त, 2023 में महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन में 15 प्रतिशत की गिरावट और 103 लाख टन चीनी उत्पादन की भविष्यवाणी की थी। WISMA मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए नए पूर्वानुमान की घोषणा करेगा।
AgriMandi.live ने राज्य में बारिश की वर्तमान स्थिति, फसल की वृद्धि और भविष्य की स्थितियों की समीक्षा करते हुए आने वाले सीजन में महाराष्ट्र में 90 लाख टन चीनी उत्पादन की भविष्यवाणी की है।
गन्ने का उत्पादन 25 प्रतिशत घटने की संभावना : बी. बी. ठोंबरे
‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने कहा कि राज्य में बारिश की कमी के कारण स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है। जून माह से अपेक्षित बारिश नहीं होने से गन्ने की वृद्धि रुक गई है और इससे उत्पादन प्रभावित होगा। अगर आगे जाकर भी बारिश नहीं हुई तो राज्य में गन्ने का उत्पादन 25 फीसदी तक घटने से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि राज्य सरकार तुरंत चारा शिविर शुरू कर दे तो पशु चारे के लिए गन्ने का उपयोग कुछ हद तक रोका जा सकता है। वहीं, चीनी सीजन 15 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच शुरू करना होगा, क्योंकि चीनी सीज़न की शुरुआत में देरी से चारे के लिए अधिक गन्ने का उपयोग हो सकता है। इसका सीधा असर चीनी मिलों के पेराई पर पड़ सकता है। यदि चीनी मिलें पूरी क्षमता से पेराई नहीं कर पाई तो चीनी और एथेनॉल का उत्पादन घट सकता है।साथ ही फैक्ट्रियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है।
चीनी उत्पादन 12 लाख टन घटने की संभावना: डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार
आयुक्त डाॅ. चंद्रकांत पुलकुंडवार ने पुणे में हाल ही में हुई बैठक में कहा कि पर्याप्त बारिश न होने से गन्ने की पैदावार कम हो जायेगी, इसलिए आगमी सीजन में चीनी का उत्पादन करीब 12 लाख टन घटने की आशंका है।
चीनी सीजन उचित योजना के साथ किया जाना चाहिए: अभिजीत पाटिल
पंढरपुर तालुका के गुरसाले में स्थित श्री विट्ठल सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष अभिजीत पाटिल ने कहा कि, पंढरपुर, मंगळवेढा तालुका के साथ सोलापुर जिले में जानवरों के लिए चारा डिपो शुरू करने की मांग जिले के संरक्षक मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल से की गई है। बारिश नहीं होने से जिले में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। पशुपालकों को अपने पशुओं को चारा खिलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि चारा शिविर शुरू हो जाएं तो किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। इस वर्ष सूखे की स्थिति के कारण गन्ने का उत्पादन घटने की संभावना है। इसलिए, चीनी मिलों को उचित योजना के साथ चीनी सत्र चलाना होगा।
सीमावर्ती फैक्ट्रियों से गन्ने की तस्करी की आशंका: प्रो. एम.टी. शेलार
वरिष्ठ पत्रकार एवं गन्ना विशेषज्ञ प्रो. एम.टी. शेलार ने कहा कि, राज्य के अन्य जिलों की तुलना में कोल्हापुर में गन्ने की फसल की स्थिति अभी भी अच्छी है। जिले में सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने के कारण फसल अब तक सूखे से प्रभावित नहीं हुई है। करवीर तालुका के साथ-साथ कागल, राधानगरी, हातकनंगले, शिरोळ, आजरा, चंदगड, भूदरगड में चीनी मिलों को पेराई के लिए गन्ना उपलब्ध होगा। हालांकि, कर्नाटक सीमा क्षेत्र के साथ-साथ सांगली और सतारा जिलों की चीनी मिलें कोल्हापुर से गन्ना ले जाने की संभावना बढ़ गई है।