सूखे का संकट: महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत तक घटने की संभावना

कोल्हापूर: पिछले 15 दिनों में बारिश रुक सी गई है, पिछले साल की तुलना में अब तक कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि मुंबई, कोंकण क्षेत्र में काफी बारिश हुई है, लेकिन कोल्हापुर को छोड़कर राज्य का गन्ना क्षेत्र अभी भी बारिश का इंतजार कर रहा है। खासकर नगर, सतारा, सांगली, सोलापुर जिले सूखे से काफी प्रभावित है। सूखे का सीधा असर प्रदेश के गन्ना उत्पादन पर पड़ने की आशंका है। कोल्हापुर जिले में अच्छी बारिश हुई है, इसलिए इस साल भी गन्ने का अच्छा उत्पादन होने की संभावना है। हालांकि, आने वाले दिनों में अगर शेष जगहों पर पर्याप्त बारिश नहीं होती है तो चीनी उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले सीजन में गन्ने के उत्पादन में औसतन 15 से 20 फीसदी की गिरावट हो सकती है। गन्ने की कमी के चलते मिलों को पूरी क्षमता से चलाने में दिक्कत आ सकती है।

चीनी मिलों को महसूस होगी गन्ने की कमी…

पिछले साल अगस्त के मध्य तक महाराष्ट्र में 123.4 फीसदी बारिश हुई थी, जबकि इस साल अब तक 89.6 फीसदी बारिश हो चुकी है। इस बीच अगस्त के मध्य तक राज्य के 329 गांवों और 1,273 बस्तियों में 351 टैंकरों के जरिए पानी की आपूर्ति की जा रही थी। यवतमाल, जलगांव, नगर, सांगली, सतारा जिलों के गांव सूखे से पीड़ित है। सोलापुर, सांगली और सतारा जिलों में भारी बारिश की कमी के कारण खरीफ सीजन की फसलें लगभग बर्बाद हो गई है। जबकि नदी किनारे के क्षेत्रों में गन्ने की फसल का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में व्यापक रूप से किया जा रहा है। सूखे का संकट और साथ ही गन्ने का चारे के रूप में हो रहे इस्तेमाल के कारण आने वाले सीजन में चीनी मिलों के सामने गन्ने की कमी का संकट निर्माण होने की संभावना बनी हुई है।

गन्ने के चारे के लिए 4,000 से 4,500 रुपये प्रति टन…

हालांकि, अगस्त का महीना खत्म होने की कगार पर है, लेकिन अभी तक पश्चिमी महाराष्ट्र के मंगलवेढा समेत कई तालुकाओं में भारी बारिश नहीं हुई है। पानी के अभाव में गन्ने की फसल सूख गई है। पशुओं को चारे की समस्या होने लगी है, और इसलिए अधिकांश पशुपालक गन्ने का उपयोग अपने पशुओं के चारे के रूप में कर रहे है। सोलापुर जिले में प्रतिदिन सैकड़ों वाहन नदी किनारे के इलाके से चारे के लिए गन्ने की ढुलाई करते नजर आते है। फिलहाल किसानों को गन्ने के चारे के लिए 4000 से 4500 हजार रुपये प्रति टन का भुगतान करना पड़ रहा है। पशु चारे के लिए गन्ने के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, चीनी मिलों को आगामी पेराई मौसम में गन्ने की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

ISMA ने भी की चीनी उत्पादन में गिरावट की भविष्यवाणी…

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से शुरू होने वाले नए चीनी सीजन में देश का चीनी उत्पादन 3.41 फीसदी घटकर 316.80 लाख टन रहने का अनुमान है। चीनी उत्पादन में यह गिरावट एथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक गन्ने के डायवर्सन के कारण है। 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) सीजन के दौरान चीनी उत्पादन 328 लाख टन होने का अनुमान है। प्रारंभिक अनुमान जारी करते हुए, ISMA ने कहा कि 2023-24 सीजन के दौरान लगभग 45 लाख टन गन्ने को एथेनॉल में परिवर्तित किया जाएगा। 2022-23 सीजन में यह मात्रा 41 लाख टन का अनुमान है।

गन्ना उत्पादन में 15 से 20 फीसदी गिरावट की संभावना: चीनी उद्योग विशेषज्ञ पी.जी.मेढे

चीनी उद्योग विशेषज्ञ पी.जी.मेढे ने संभावना व्यक्त की है कि, इस वर्ष राज्य में बारिश की कमी के कारण गन्ना उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आयेगी। उन्होंने कहा, राज्य के अधिकांश गन्ना उत्पादक जिलों में पिछले साल की तुलना में कम बारिश हुई है। उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि, कम बारिश का सीधा असर गन्ना उत्पादन पर पड़ेगा और राज्य में लगभग 1000 लाख टन गन्ना आने वाले पेराई सीजन में उपलब्ध होगा। राज्य के सभी मिलों की संयुक्त दैनिक पेराई क्षमता लगभग 9 लाख टन है। इसका मतलब है कि, आगामी सीज़न केवल 100 से 120 दिनों का हो सकता है। मेढे ने कहा कि, गन्ने की कमी से मिलों को भारी नुकसान हो सकता है, और गन्ने का उत्पादन घटने से चीनी का उत्पादन स्वाभाविक रूप से कम हो जायेगा। उन्होंने कहा कि, उत्पादन घटने से चीनी की कीमते बढ़ सकती है।

 

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