कंपनी के प्रबंध निदेशक जमाल अल-घुरैर ने मंगलवार को दुबई शुगर कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा की, अल खलीज शुगर 70% क्षमता पर काम कर रही है, जबकि मध्य पूर्व में चीनी रिफाइनरियां क्षमता से अधिक उत्पादन से जूझ रही हैं।उन्होंने कॉन्फ्रेंस के दौरान संवाददाताओं से कहा, पूरे क्षेत्र में रिफाइनरियां अपनी क्षमता से कम पर काम कर रही हैं, क्योंकि मध्य पूर्व में 60-70% क्षमता से अधिक उत्पादन हो रहा है। कुछ रिफाइनरियां 30-40% क्षमता पर काम कर रही हैं।
अल खलीज शुगर स्वीटनर की दुनिया की सबसे बड़ी बंदरगाह आधारित रिफाइनरी संचालित करती है। अल घुरैर ने कहा कि, निर्यातक के रूप में वैश्विक बाजार में भारत की वापसी मध्य पूर्व में चीनी की कीमतों पर असर डाल रही है। भारत ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक मिलों को अधिशेष स्टॉक निर्यात करने और स्थानीय कीमतों को सहारा देने में मदद करने के लिए चालू सीजन के दौरान सितंबर 2025 तक एक मिलियन मीट्रिक टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।
उन्होंने कहा, भारत की डंपिंग रुक गई थी, लेकिन एक बार फिर वापस आ गई है। न केवल यूएई में बल्कि खाड़ी के दूसरे देशों में भी। अल घुरैर ने कहा कि, सीरिया को चीनी निर्यात करने की अभी कोई योजना नहीं है, क्योंकि 8 दिसंबर को बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल करने के बाद युद्ध से तबाह देश पर नए प्रशासन ने कब्ज़ा कर लिया है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि हम सीरिया को निर्यात करेंगे या नहीं। यह सब बिल्कुल नया है। निर्यात शुरू करने से पहले वहां स्थिरता होनी चाहिए। कंपनी का उत्पादन अब 1.6 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जिसमें 20% स्थानीय बाजार के लिए और 80% निर्यात के लिए है।
उन्होंने कहा, मांग में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि, स्थानीय स्तर पर खपत में वृद्धि इस बात पर निर्भर करेगी कि यूएई चीनी से जुड़े उत्पादों के विनिर्माण का विस्तार कर सकता है या नहीं। रिफाइनरी द्वारा उपयोग की जाने वाली अधिकांश कच्ची चीनी ब्राजील से आती है, जो दुनिया का शीर्ष स्वीटनर निर्यातक है। अल घुरैर ने कहा कि मिस्र में कंपनी का कारखाना, जो चुकंदर का प्रसंस्करण करता है, दो वर्षों से चालू है, लेकिन देश के सब्सिडी कार्यक्रम से जुड़ी कीमतों की सीमा के कारण यह भी पूरी क्षमता पर नहीं है।