संगरूर : पंजाब में भी गन्ना बकाया भुगतान काफी गंभीर मामला बना हुआ है। चीनी मिलों द्वारा समय से भुगतान न होने से किसान निराश है, इसलिए कई किसानों ने तो गन्ना फसल छोड़ गेहूं, धान की खेती की ओर रुख किया है। संगरूर और मलेरकोटला जिलों में इसका ज्यादा असर देखने को मिल रहा है, यहां गन्ने के रकबे में भारी गिरावट आई है। 2017-18 में, दोनों जिलों में 3,810 हेक्टेयर गन्ने के अधीन थे। वित्त वर्ष 2021-22 में यह रकबा घटकर 1,894 हेक्टेयर रह गया। चालू वित्त वर्ष में भी यह आंकड़ा और नीचे जाने की संभावना है।
ट्रिब्यून इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, किसानों ने दावा किया की, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के पंजाब सरकार के सभी दावे केवल कागजों पर हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान अधिकांश गन्ना उत्पादक धान-गेहूं की खेती में लौट आए हैं। धूरी में एक निजी चीनी मिल के पास लंबित अपने करोड़ों के भुगतान को जारी करने के लिए गन्ना उत्पादक समिति के सदस्य बुधवार को एमसी कार्यालय की पानी की टंकी के ऊपर चढ़ गए। कुछ किसानों का मानना है की, अपना भुगतान जारी करने के लिए सरकार से लड़ने में अपना समय बर्बाद नहीं कर सकते, और इसलिए गन्ना फसल का विकल्प तलाश रहें है। धुरी की एक निजी चीनी मिल पर 17.65 करोड़ रुपये की राशि लंबित है। कुल राशि में से मिल ने 3 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।