नई दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक उद्योग कार्यक्रम में कहा कि, E20 पेट्रोल अब 1,350 ईंधन खुदरा दुकानों पर उपलब्ध है और 2025 तक पूरे देश में उपलब्ध होगा। मंत्री पूरी ने यह भी घोषणा की कि, 22 जुलाई को गोवा में जी20 ऊर्जा संक्रमण मंत्रिस्तरीय बैठक में अमेरिका, ब्राजील और भारत द्वारा स्थापित वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) की सदस्यता अन्य देशों के लिए खोली जाएगी।
भारत ने नवंबर 2022 की लक्षित समयसीमा से कुछ महीने पहले पिछले साल जून में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया था।एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम में सफलता ने सरकार को अखिल भारतीय E20 रोलआउट की समय सीमा को 2030 से 2025-26 तक आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।सरकार के अनुसार, देश संशोधित E20 पेट्रोल समयसीमा को पूरा करने की राह पर है।
E20 पेट्रोल की बिक्री इस साल फरवरी में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के 84 खुदरा दुकानों से शुरू की गई थी। पाँच महीनों में, E20 पेट्रोल वितरित करने वाले आउटलेटों की संख्या बढ़कर लगभग 1,350 हो गई है। कुल मिलाकर, भारत में लगभग 87,000 ईंधन खुदरा दुकानें हैं, जिनमें तीन ओएमसी-इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन-की संचयी बाजार हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से अधिक है।
पुरी ने कहा, भारत जैव ईंधन के क्षेत्र में एक सफलता की कहानी है।भारत की बायोएनर्जी कहानी को अन्य देशों में दोहराने की क्षमता है, जबकि जैव ईंधन ऊर्जा सुरक्षा, डीकार्बोनाइजेशन और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को जीवन में ला सकता है।सरकार के अनुमान के अनुसार, एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम ने पिछले नौ वर्षों में 54,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा बचत की है, जबकि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को भी बढ़ाया है। अनुमान है कि पिछले आठ वर्षों में ओएमसी ने एथेनॉल आपूर्ति के लिए डिस्टिलर्स को 82,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है, जिसमें से 48,000 करोड़ रुपये किसानों को दिए गए। जहां तक इसके पर्यावरणीय प्रभाव का सवाल है, सम्मिश्रण कार्यक्रम से अब तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 30 मिलियन टन की कमी आई है।
पुरी ने कहा, वैश्विक स्तर पर, टिकाऊ जैव ईंधन ऊर्जा के सबसे महत्वपूर्ण वैकल्पिक स्रोतों में से एक है और शुद्ध शून्य (उत्सर्जन) प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।यह पहले से ही आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और इसलिए उभरते ईंधन में सबसे आगे है।ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस के बारे में बोलते हुए पुरी ने कहा, यह वैश्विक ऊर्जा बाजार के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना होगी और ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) की तर्ज पर इसमें बड़ी संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि कई देश गठबंधन में शामिल होने के इच्छुक है। अमेरिका और ब्राजील, जो ‘जीबीए’ के निर्माण के लिए भारत के साथ काम कर रहे है, उनको जैव ईंधन में वैश्विक नेताओं के रूप में देखा जाता है और वैश्विक एथेनॉल उत्पादन में उनका क्रमशः 55 प्रतिशत और 27 प्रतिशत हिस्सा है। जीबीए को विश्व आर्थिक मंच, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी समर्थन दिया जा रहा है।पुरी ने कहा कि टिकाऊ जैव ईंधन में बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन इसमें कई बाधाएं भी है, जिनमें फीडस्टॉक आपूर्ति मुद्दे, तकनीकी सीमाएं, नीति ढांचा और वित्तपोषण और निवेश शामिल है। पुरी ने कहा, जीबीए में सदस्य देशों, भागीदार संगठनों और उद्योगों को एक साथ लाने वाली तीन-श्रेणी की सदस्यता संरचना होगी।
पुरी ने कहा, जीबीए गठबंधन टिकाऊ जैव ईंधन और जैव उत्पादों के विकास और तैनाती के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान करके जैव ईंधन को त्वरित रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग और सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेगा।