कर्नाटक: हावेरी में गन्ने की पैदावार पर सूखे का असर

हावेरी : हावेरी जिला, जो दो प्रमुख नदियों के प्रचुर पानी द्वारा समर्थित गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है, लेकिन सूखे की स्थिति के कारण इस वर्ष गन्ने की उपज में कमी आयी है। पेराई के लिए गन्ने की कमी के कारण चीनी मिलें मुश्किल स्थिति में दिखाई दी।

द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जिले में गन्ने का क्षेत्रफल पिछले वर्षों की तुलना में कम हो गया है। इस साल भीषण सूखे का असर गन्ने की पैदावार पर भी पड़ा है क्योंकि पानी की कमी के कारण गन्ने की पैदावार पर काफी असर पड़ा है।

कृषि विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, उपज कम हो गई है, और इससे मिलों में गन्ने की कमी हो जाएगी। संगुरु में जीएम शुगर्स, जिले में सबसे अधिक चीनी का उत्पादन करती है। हालांकि, प्रबंधन को लगता है की पेराई के लिए कम गन्ना आएगा।

जीएम शुगर्स के एक फील्ड अधिकारी ने कहा की इसके अलावा, हावेरी में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गन्ने की खेती का क्षेत्रफल 1,200 हेक्टेयर कम हो गया है। सूखे ने गन्ने की पैदावार पर भारी असर डाला है, इसलिए हम किसानों से अपील कर रहे हैं कि वे अन्य मिलों को गन्ने की आपूर्ति न करें। न केवल गन्ने की खेती का रकबा कम हुआ है, बल्कि पानी की कमी के कारण पैदावार भी काफी प्रभावित हुई है। हावेरी जिले में तीन प्रमुख चीनी मिलें है, जिसमे संगुर में जीएम शुगर्स, रत्तीहल्ली में केएलपीडी एथेनॉल, और शिगगांव तालुका में वीआईपीएन डिस्टिलरीज।

हालांकि, हावेरी जिले में सूखे के कारण गन्ने की खेती का क्षेत्र नहीं बढ़ाया गया है। पड़ोसी जिलों बेल्लारी, गडग और दावणगेरे की फैक्ट्रियां भी गन्ने की मांग कर रही हैं। इन फैक्ट्रियों में गन्ने की पेराई की जरूरत होती है, इसलिए मांग बढ़ गई है और किसानों से भारी मांग मिल रही है।

वर्तमान सीजन में कर्नाटक में पेराई सत्र समाप्त हो चूका है।

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