नई दिल्ली : रायटर्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, सरकार गेहूं की रिकॉर्ड उच्च कीमतों को काबू में करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में थोक उपभोक्ताओं को 2 से 3 मिलियन टन गेहूं की पेशकश करने के लिए तैयार है। इस साल भारत में गेहूं की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे आम लोगों के साथ साथ थोक उपभोक्ताओं भी महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है।
यूक्रेन और रूस के संघर्ष के बाद दुनियाभर से भारत के गेहूं की मांग काफी बढ़ गई है, जिसके कारण घरेलू बाजारों में गेहूं की कीमतों में काफी इजाफा हुआ। जिसके बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भारत ने मई में निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया, लेकिन सरकार का यह कदम घरेलू कीमतों में वृद्धि को रोकने में विफल रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने कहा की, हम कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में गेहूं को उतारने की योजना बना रहे है। सरकार दुनिया के सबसे बड़े खाद्य कल्याण कार्यक्रम को चलाने के लिए किसानों से चावल और गेहूं खरीदती है, और लगभग 800 मिलियन लोगों को हर महीने 2 रुपये ($ 0.02) और 3 रुपये में 5 किलोग्राम चावल और गेहूं मुहैया कराती है।