नई दिल्ली: खाद्य मंत्रालय जल्द ही एक ऐसी योजना के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेगा, जिससे मक्का किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी मिलेगी, जबकि डिस्टिलरी को एथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
द हिन्दू बिजनेसलाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि, मंत्रियों की समिति ने सैद्धांतिक रूप से इस योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सहकारी संस्थाएं नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) किसानों से सीधे एमएसपी पर मक्का खरीदेंगे। बदले में, वे अनाज आधारित डिस्टिलरी को एमएसपी प्लस मंडी टैक्स पर उपज बेचेंगे। NAFED और NCCF द्वारा किया गया आकस्मिक व्यय (incidental expenditure), जिसे अधिकतम 10 प्रतिशत माना जाता है, सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
योजना का लक्ष्य मक्के की उत्पादकता और उत्पादन को बढ़ाना है। सहकारी समितियां कार्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक किसानों का पंजीकरण करेंगी और बुआई शुरू होने से पहले आवश्यक मात्रा का निर्धारण करेंगी। डिस्टिलरीज सहकारी समितियों को दरों का अग्रिम भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध होंगी। इस योजना को अगले साल खरीफ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किए जाने की उम्मीद है। मक्के पर ध्यान केंद्रित करना पेट्रोल कार्यक्रम के साथ 20% एथेनॉल मिश्रण को प्राप्त करने के प्रयासों का हिस्सा है।
Ithinol ke liya makka supply kerna chahta hu