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नई दिल्ली : चीनी मंडी
अधिशेष चीनी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये। अब सरकार की इथेनॉल उत्पादन निति के अच्छे नतीजे सामने आ रहे है। 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) गन्ना पेराई सीजन के लिए तेल कंपनियों ने 260 करोड़ लीटर इथेनॉल के कॉन्ट्रैक्ट किए हैं जोकि अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग का 7.5 फीसदी है। कुल कॉट्रैक्ट में से 49 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई तेल कंपनियों को 23 फरवरी 2019 तक की जा चुकी है।
पिछले पेराई सीजन 2017-18 में चीनी मिलों ने तेल कंपनियों को 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई ही की थी, जो कि अनिवार्य ब्लेंडिंग की तय मात्रा 10 फीसदी का केवल 4.8 फीसदी ही था। जिस तरह से केंद्र सरकार ने इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को ब्याज मुक्त ऋण देने के साथ ही इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी की है। इसकी वजह से चीनी मिलों द्वारा इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए जो यूनिट स्थापित की जा रही हैं, उससे आगामी पेराई सीजन में इथेनॉल की कुल उपलब्धता करीब 14 से 15 फीसदी हो जायेगी। अनिवार्य 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए 330 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत है।
विदेशी मुद्रा की होगी बड़ी बचत…
चीनी उद्योग के लिए इथेनॉल एक महत्वपूर्ण उत्पाद है, इथेनॉल जो कि पर्यावरण के लिए सुरक्षित है, वहीं इससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है। साथ ही किसानों के लिए भी यह लाभकारी है। केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को जून 2018 में 8,500 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की थी, इसमें 4,440 करोड़ रुपये चीनी मिलों को सस्ते कर्ज के रूप में इथेनॉल क्षमता के विकास के लिए दिए गए थे।
गन्ने के बंपर उत्पादन का बेहतर विकल्प…
केंद्र सरकार द्वारा इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी करना इस उद्योग के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। देश में गन्ने के उत्पादन में बढ़ोतरी से चीनी का बंपर उत्पादन हो रहा है। विश्व बाजार में चीनी की कीमतें नीचे होने के कारण निर्यात भी उम्मीद के अनुरूप नहीं हो रहा, जिस कारण चीनी मिलों पर किसानों का बकाया लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में गन्ने के बंपर उत्पादन का बेहतर विकल्प इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाना है। केंद्र सरकार भी इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए मिलों की हर संभव कोशिश कर रही है।
इथेनॉल दरों में बढ़ोतरी…
सितंबर 2018 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने एथेनॉल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की थी। इसके तहत समिति ने सीधे गन्ने के रस से बनने वाले इथेनॉल का भाव बढ़ाकर 59.19 रुपये प्रति लीटर तय किया था, जबकि बी-ग्रेड एथेनॉल का भाव 47.13 रुपये से बढ़ाकर 52.43 रुपये प्रति लीटर कर दिया था, हालांकि शीरे से उत्पादित सी-ग्रेड के एथेनॉल का मूल्य 43.70 रुपये से घटाकर 43.46 रुपये प्रति लीटर कर दिया था।
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