नई दिल्ली: भारत के एथेनॉल सम्मिश्रण निति से अधिशेष चीनी स्टॉक की समस्या काफी कम हुई है। अधिशेष चीनी स्टॉक अगले चार वर्षों में एक मिलियन टन तक कम होने की संभावना है, जो पिछले साल के 5.2 मिलियन टन के उच्च स्तर से काफी कम है। द हिन्दू बिजनेस लाइन द्वारा गुरुवार को आयोजित कमोडिटी मार्केट आउटलुक 2022 (Commodities Market Outlook 2022) कार्यक्रम में भाग लेते हुए, श्री रेणुका शुगर्स के निदेशक रवि गुप्ता ने कहा कि, भारत 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) तक शुद्ध निर्यातक बना रहेगा, हालांकि वॉल्यूम 0.5 मिलियन टन तक गिर सकता है। गुप्ता ने कहा, एथेनॉल के निर्माण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीनी (गन्ना के बराबर) 2020-21 के 2.1 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 5.2 मिलियन टन तक देखा जा रहा है।
चालू सीजन की चीनी बैलेंस शीट पर, उन्होंने कहा कि निर्यात पिछले साल के 7.2 मिलियन टन से गिरकर 6 मिलियन टन और उत्पादन 31.2 मिलियन टन से घटकर 30.5 मिलियन टन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि, घरेलू खपत 26.5 मिलियन टन (26 मिलियन टन) तक बढ़ सकती है। वैश्विक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए गुप्ता ने कहा कि आयात करने वाले देशों को चीनी के स्रोत के लिए भारत की ओर देखना होगा क्योंकि वैश्विक कमी है, जो आगे भी जारी रहेगा। भारतीय निर्यातकों ने चालू सीजन की शुरुआत से ही शिपमेंट के लिए लगभग 3.3 मिलियन टन का अनुबंध कर लिया है।