इथेनॉल निर्माण के अधिकार गैर सरकारी कंपनियों को मिलने चाहिये

जैव इंधन किसान संगठन के अध्यक्ष देसाई कि मांग
केंद्र सरकारने सहकारी चिनी मिलों कि खस्ता हालत सुधारने हेतु इथेनॉल निर्माण के लिये जो योजना बनाई है, उसी परवेश में जैव इंधन किसान संगठन के अध्यक्ष शामराव देसाई ने प्रसिधीपत्रक द्वारा अपनी मांग रखते हुवे यह सूचित किया है कि, इथेनोल निर्माण के अधिकार राज्य और देशव्यापी सहकारी संगठनों को नही दिये जाये. इसके विपरीत यह अधिकार गैर सरकारी औद्योगिक संगठनों को मिलने चाहिये. केंद्र सरकारने चिनी उद्योग को प्रोस्ताहन देने के हेतु इथेनॉल निर्माण को बढ़ावा देकर निर्माण कि गति बढाने कि योजना रखी है. इसी परिपेक्ष में सरकारने सभी कृषी उत्पादनों से इथेनोल निर्माण को हरी झंडी देकर इसके निर्माण में बढ़ोतरी करने कि ऐतिहासिक एक योजना बनाई है. जिसका लाभ सभी सामन्य गन्ना किसानों को मिलना चाहिए. उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र ये दो राज्य गन्ने के उत्पादन में हमेशा हि आगे रहें है, और इन दो राज्यों के चिनी मिलोंको इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेते हुवे, अधिक सक्रिय होकर जल्द से जल्द केंद्र सरकारसे इथेनोल मिलों कि निर्माण केलिये प्रयत्न करना चाहिए. २०१८ – २०१९ इस आर्थिक वर्ष में अगर इथेनॉल मिलों कि शुरुवात होगी, तो इसका सिधा फायदा सामन्य गन्ना किसानों कि एफ.आर.पी बढ़ने में हो सकती है. जिससे कमसे कम रु. २४०० प्रति टन से बढकर रु.३४५० यानि प्रति टन रु. १०५० का फायदा किसानों को मिल सकता है. मगर देसाई कि मांग यह है कि इथेनोल मिलोंके निर्माण के अधिकार सहकारी चिनी मिलों को न दिया जाये, क्यूंकि इस योजना को इन मिलोंने पहले अपना विरोध दर्शाया था.

शामराव और सुजाता देसाई ने मिडिया के सामने अपने इस प्रसिद्धीपत्रक को रखते हुवे कुछ सुझाव और प्रस्त्ताव रखे है . इसमें इनका यह कहना है कि यूपीए सरकारके कार्यकाल में इसी इथेनॉल के दाम प्रति लिटर सिर्फ रु.२७ थे. दाम इतने कम होकर भी दाम बढ़ाने के बारेमें कभी गंभीरता से सोचा नहीं था. और अब जब इथेनॉल के दाम बढ़ने लगे तो इसके प्रति इनकी रूचि दिखने लगी है. इनके कार्यकालमें देश के पेट्रोल पंपो पर गैर क़ानूनी पत्रक लगे थे, जिसपर यह लिखा हुवा था कि अगर इथेनोल मिश्रित इंधन कि एक भी बूंद गड्डीके इंधन टंकियों में मिले तो इथेनॉल का पानी पानी हो सकता है. पिछले सरकारने इस पर तब कुछ भी कार्यवाही नहीं कि और इस बात को अनदेखा कर दिया. इस बात को ध्यानमें रखते हुवे देसाई का यह मानना है कि सरकारी पेट्रोल कंपनियों को भी इथेनॉल मिश्रित इंधन बेचने के अधिकार मिलने नहीं चाहिए. देसाई का प्रस्त्ताव है कि इस योजना के सभी अधिकार गैर सरकारी कंपनियों को मिलने चाहिये.

SOURCEChiniMandi

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