नई दिल्ली : केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि, भारत की एथेनॉल पहल परिवर्तनकारी साबित हो रही है, किसानों के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है, रोजगार पैदा कर रही है, विदेशी मुद्रा का संरक्षण कर रही है और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान दे रही है। पुरी ने कहा कि देश के एथेनॉल कार्यक्रम ने किसानों की आय में 1,07,580 करोड़ रुपये की वृद्धि की है और कच्चे तेल के आयात की आवश्यकता को कम करके 1,26,210 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाने में मदद की है।
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि, एथेनॉल को बढ़ावा देने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अन्नदाता’ (खाद्य प्रदाता) को ‘ऊर्जादाता’ (ऊर्जा प्रदाता) में बदलने के दृष्टिकोण का समर्थन होता है। पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “इस पहल से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार पैदा होंगे, बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी और यह पर्यावरण के लिए वरदान है।” इस हरित ऊर्जा बदलाव के हिस्से के रूप में, असम में बनने वाली बांस आधारित बायो-एथेनॉल रिफाइनरी से पूर्वोत्तर क्षेत्र को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है। 49 केटीपीए उत्पादन क्षमता वाला यह प्लांट बांस का उपयोग करेगा, जिसे अक्सर ‘हरा सोना’ कहा जाता है। यह परियोजना असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड में लगभग 30,000 ग्रामीण परिवारों की आजीविका में सुधार करेगी।
प्लांट की तस्वीरें साझा करते हुए, पुरी ने इसे सतत प्रगति का प्रतीक बताया जो आर्थिक उन्नति को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ जोड़ती है। उन्होंने कहा, “पर्यावरण और हमारी आर्थिक प्रगति के बीच बेहतर समन्वय को दर्शाती ये तस्वीरें असम बायो-इथेनॉल प्लांट की हैं, जहां ‘हरा सोना’ यानी बांस से इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा।” रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी इस वर्ष सितम्बर में इस सुविधा का उद्घाटन कर सकते हैं।