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नई दिल्ली : चीनी मंडी
घरेलू और वैश्विक बाजार में चीनी की लगातार गिरती कीमत और ठप्प हुई निर्यात के कारण चीनी मिलें नकदी तंगी से बेहाल है। गन्ना किसानों का बकाया लगभग १२००० करोड़ तक पहुच चूका है।गन्ना किसानों को राहत देने के लिए चीनी मिलों को ईथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरा राहत पैकेज देने के प्रस्ताव पर बुधवार को कैबिनेट मुहर लगा सकती है। इसमें चीनी मिलों को एथेनॉल के लिए 10 से 12 हजार करोड़ रुपये तक कम दर पर ऋण मुहैया कराया जा सकता है। गतवर्ष सितंबर में भी चीनी मिलों को सरकार ने राहत प्रदान की थी।
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में चीनी मिलों पर किसानों का भारी बकाया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले सरकार किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए कैबिनेट दूसरे राहत पैकेज पर मुहर लगा सकती है। मिलों में एथेनॉल की क्षमता को बढ़ाने के लिए यह पैकेज दिया जाएगा। उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) बढ़ाने की मांग पर विचार किया जा सकता है। यह दर 29 रुपये से बढ़ाकर 32 रुपये किए जाने कि सिफारिश की गई है।
मंत्रालय की ओर से विभिन्न स्तरों पर गन्ना किसानों को राहत मुहैया कराने के लिए पेशकश की गई है। अब आगे कैबिनेट को निर्णय लेना है कि कम दर पर मिलों को ऋण किन मामलों में दिया जाए। उन्होंने बताया कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है, क्योंकि किसानों का बकाया बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका है। और सरकार चाहती है कि गन्ना बकाया की रकम आने वाले चुनावों के दौरान मुद्दा नहीं बने।
पिछले साल सरकार ने एफआरपी बढ़ाने के अलावा भी चीनी मिलों को वित्तीय सहायता पहुंचाने के लिए विभिन्न स्तरों पर कदम उठाए थे। मिलों को निर्यात में छूट, बफर स्टॉक में सब्सिडी जैसे कदम इन राहतों में शामिल थे। साथ ही निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पड़ोसी देशों में संभवानाएं भी सरकार द्वारा तलाशी गई थीं। हालांकि सभी कदम पूरा बकाया चुकाने के मद्देनजर नाकाफी साबित हुए।
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