नई दिल्ली : चीनी मंडी
देश में ईंधन सम्मिश्रण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए चीनी उद्योग लगातार इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीनी उद्योग इथेनॉल के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए चीनी मिलें, तेल विपणन कंपनियों (OMCs) और बैंकों के बीच एक ‘त्रिपक्षीय मकैनिज़म’ के तहत काम करना चाहता है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को पहले ही पत्र लिखा है ताकि यह संभव हो सके क्योंकि बड़ी संख्या में मिलें इथेनॉल उत्पादन सुविधाओं को स्थापित करने के लिए क्रेडिट प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
आपको बता दे इससे पहले सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर चीनी मिलों को अधिशेष की समस्या से निपटने के लिए इथेनॉल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था। भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा 13 मई, 2020 को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि भारत की चीनी मिलें अपने चीनी के अधिशेष स्टॉक का दीर्घकालिक समाधान कर सकती हैं। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को ईंधन ग्रेड इथेनॉल के उत्पादन के लिए अतिरिक्त गन्ने और चीनी को डाइवर्ट करने को कहा है। चीनी का अधिशेष उत्पादन मिलों के लिए सिरदर्द बना रहा है। चीनी की बिक्री पर इसका गहरा असर होता है और कीमतें घटने लगती हैं। नतीजन इससे जुड़े सभी कारोबारियों और किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है।
देश में चीनी अधिशेष से निपटने के लिए सरकार ने मिलों को चीनी इथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति दी है। हालही में केंद्र सरकार ने बी- हैवी मोलासेस वाले इथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलासेस वाले इथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी हैं। गन्ने के रस, चीनी, चीनी सीरप से सीधे बनने वाले इथेनॉल का भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
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